पुराण विषय अनुक्रमणिका PURAANIC SUBJECT INDEX (Kaamanaa - Kumaari) RADHA GUPTA, SUMAN AGARWAL & VIPIN KUMAR
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Puraanic contexts of words like Kunda, Kundana/gold, Kubera etc. are given here. कुन्दन लक्ष्मीनारायण ३.१९३.२ ( राजीव नृप की भार्या कुन्दनदेवी नामक भक्तिनी द्वारा पापग्रस्त पति के उद्धार का वृत्तान्त ), ३.२१२.९१ ( भगवद्भक्ति से नालीकर नामक लोहकार के पत्नी कुन्दनिका सहित परमधाम गमन का वृत्तान्त ) । kundana
कुबेर अग्नि ३०५.१४ ( प्रत्येक वट वृक्ष पर विष्णु के वैश्रवण कुबेर नाम के स्मरण से भोग - मोक्ष की प्राप्ति का उल्लेख ), गणेश २.१०.२५ ( कुबेर द्वारा महोत्कट गणेश का सुरानन्द नामकरण ), २.७७.३ ( सिन्धु असुर द्वारा कुबेर के भाल देश पर आघात ), गरुड १.११६.३( प्रतिपदा को कुबेर की पूजा ), १.१५.२४ ( कुबेरपति : विष्णु सहस्रनामों में से एक ), १.१५.५४ ( कुबेर कारण : विष्णु सहस्रनामों में से एक ), ३.२२.२७(धनप के २४?/१४ लक्षणों से युक्त होने का उल्लेख), गर्ग १.५.२४ ( कुबेर के व्रज में हृदीक नाम से अवतरण का उल्लेख ), ७.२३.१५ ( अलकापुरी - अधिपति कुबेर का प्रद्युम्न को भेंट न देना, प्रद्युम्न व कुबेर सेना के युद्ध का वर्णन ), ७.२५.२४ ( युद्ध में पराजित होने पर राजराज कुबेर द्वारा प्रद्युम्न को प्रभूत भेंट प्रदान करना, कुबेर द्वारा प्रद्युम्न की स्तुति, प्रद्युम्न द्वारा कुबेर को अभय प्रदान करने का वर्णन ), देवीभागवत ९.२२.५ ( देव - दानव युद्ध में शंखचूड - सेनानी कालकेय से कुबेर के युद्ध का उल्लेख ), नारद १.५६.६९३(कुबेर का संक्षिप्त स्वरूप), १.११९.४०(कुबेर का सोम से तादात्म्य), पद्म ३.१६.४ ( कावेरी संगम पर किए गए तप के प्रभाव से कुबेर के यक्षाधिपति बनने का कथन ), ५.६.१९ ( विश्रवा व मन्दाकिनी - पुत्र धनद /कुबेर के लोकपाल होने का उल्लेख ), ६.११३ (धनेश्वर विप्र द्वारा मृत्यु पश्चात् नरक की प्राप्ति , कार्तिक व्रती जनों के पुण्य से धनद का अनुचर धनयक्ष बनना ),६.२०४.११३( निगमोद्बोध तीर्थ के जलपान आदि से पथिक व शिबिका वाहकों द्वारा कुबेर के लोक की प्राप्ति का कथन ), ६.५२.८ ( अलकापुरी - अधिपति, शिव पूजार्थ पुष्प लाने में विलम्ब करने से कुबेर द्वारा हेममाली को शाप, योगिनी एकादशी व्रत से शाप से मुक्ति की कथा ), ब्रह्म २.२७ ( रावण द्वारा वैभव रहित किए जाने पर धनद / कुबेर द्वारा गौतमी गङ्गा के तट पर तप, तप द्वारा धनद पद प्राप्ति, गौतमी तीर्थ का पौलस्त्य धनद / वैश्रवण नाम से प्रसिद्ध होने का कथन ), २.९३.३१ ( शाकल्य द्वारा वित्तेश से श्रोत्रों की रक्षा की प्रार्थना ), ब्रह्मवैवर्त्त १.१०.९ ( उतथ्य द्वारा कुबेर से गुरु दक्षिणा हेतु कोटि स्वर्ण मुद्राओं की याचना, कुबेर की धन प्रदान में विरसता, क्रुद्ध उतथ्य का कुबेर को भस्म करना, पुनर्जन्म में कुबेर के विश्रवस - पुत्र रूप होने का कथन ), ४.१६.१० (बकासुर द्वारा भगवान् को उदरस्थ करने पर भयभीत देवों द्वारा अस्त्रों से प्रहार, कुबेर के अर्धचन्द्र बाण से बकासुर के छिन्नपाद होने का उल्लेख ), ४.६२.४२ (मेना के शाप से कुबेर के रूपहीन होने का उल्लेख), ब्रह्माण्ड २.३.८.४४ ( कुबेर शब्द की निरुक्तियां, ऋद्धि - पति, नलकूबर - पिता ), २.३.१३.८० ( कुबेरतुङ्ग में श्राद्ध के अनन्त फलदायी तथा पाप नाश कारक होने का उल्लेख ), ३.४.१५.२२ (कुबेर द्वारा ललिता देवी को चिन्तामणिमय माला प्रदान करने का उल्लेख ), भविष्य १.५७.१७( कुबेर हेतु बिल्व बलि का उल्लेख ), १.१२४.२७ ( सूर्य के उत्तर में कुबेर की स्थिति, अन्य नाम धनद, कुशरीर के कारण कुबेर नाम धारण का कथन ), ३.३.३०.७३ ( कुबेर - सेनापति मणिदेव के यक्ष युद्ध में भीमसेन द्वारा मारे जाने का उल्लेख ), ३.४.१५ ( विश्रवा व इल्वला - पुत्र कुबेर का पूर्व जन्म में शिवभक्त राजराज नामक राजा होना, ब्रह्मा द्वारा कुबेर को लङ्कापुरी का स्वामी बनाना, रावण द्वारा लङ्का के अधिगृहीत कर लेने पर कुबेर को अलकापुरी देना, कुबेर की यक्षराट् रूप से प्रसिद्धि, त्रिलोचन वैश्य के रूप में कुबेर के जन्म का वर्णन ), ३.४.१५.१३(कुबेर शब्द की वेला पर आधारित निरुक्ति), ३.४.१८.५ ( कुबेर आदि २६ यक्षाधीशों के विश्वकर्मा व चित्रा - पुत्री संज्ञा के स्वयंवर में गमन का उल्लेख ), ३.४.१९.५५(रस तन्मात्रा के अधिपति के रूप में यक्षराज का उल्लेख), ३.४.२०.१७ ( परा प्रकृति के देवों में से एक ), ३.४.२५.१३१( मत्स्य कल्प में पुराण पुरुषासन पर भगवान् कुबेर की स्थिति का उल्लेख, रजः से कुबेर की व कुबेर से मत्स्य की उत्पत्ति ), भागवत ४.१.३७ (विश्रवा व इडविडा - पुत्र, रावण, कुम्भकर्ण तथा विभीषण का सौतेला भाई ), ४.१२.८ (इडविडा - पुत्र कुबेर द्वारा ध्रुव को भगवत्स्मृति रूप वर प्रदान का उल्लेख ), ४.१५.१४ ( महाराज पृथु के राज्याभिषेक पर धनद / कुबेर द्वारा स्वर्णनिर्मित सिंहासन प्रदान करने का उल्लेख ), मत्स्य ६७.१४ ( नवनिधिपति धनद / कुबेर से चन्द्रग्रहण - जन्य - पीडा को विनष्ट करने हेतु प्रार्थना का उल्लेख ), १२१.२ ( कैलास पर्वत पर कुबेर देव के गुह्यकों के साथ निवास करने का उल्लेख ), १३३.६४ (त्रिपुर - विध्वंसार्थ शिव के प्रस्थान के समय द्रविणाधिपति कुबेर के व्याल / सर्प पर आरूढ होकर गमन करने का उल्लेख ), १३७.३२ ( दानवों के त्रिपुर में प्रविष्ट हो जाने पर शिव द्वारा इन्द्र को कुबेर, यम आदि के साथ दानवों का संहार करने के निर्देश का कथन ), १३८.२५ (पाशधारी वित्ताधिपति / कुबेर द्वारा त्रिपुर के पश्चिम द्वार को निरुद्ध करने का उल्लेख ), १४०.४१ ( मय द्वारा कुबेर के विद्ध होने का उल्लेख ), १४८.९३ ( कुबेर ध्वजा पर पद्मराग मणि तथा विटपाकृति अंकित करने का उल्लेख ), १५०.१२ ( कुबेर के जम्भ से युद्ध का उल्लेख ), १७४.१७ ( देवों के युद्धार्थ अभियान में धनद / कुबेर के पुष्पक विमान पर आरूढ होने का उल्लेख ), १८९.४ ( कावेरी - नर्मदा सङ्गम माहात्म्य : सङ्गम पर कुबेर द्वारा तप, तप से प्रसन्न शिव से कुबेर को यक्षाधिपतित्व की प्राप्ति ), १९१.८५ ( नर्मदा तटवर्ती तीर्थों के अन्तर्गत कुबेर भवन में कुबेर के वास तथा कालेश्वर तीर्थ में स्नान से सर्वसम्पद् प्राप्ति का कथन ), २६१.२० ( कुबेर की प्रतिमा के स्वरूप का कथन ), महाभारत अनुशासन १५०.३८(धनेश्वर के गुरु रूप में उत्तर दिशा में स्थित सात ऋषियों के नाम), वराह १७.२५,४७ ( धनपति नाम से प्रसिद्ध एक देव ), १७.७१( कारणान्त पर वायु के धनेश बनने का उल्लेख ), ३०.१ ( वायु के धनद बनने का कथन ), वामन ६.९१ ( कापालिक या भैरव सम्प्रदाय के आचार्य, कर्णोदर - गुरु ), ९.१८ ( अम्बिका के चरणों से उत्पन्न पर्वताकार नरोत्तम का कुबेर वाहन के रूप में उल्लेख ), वायु ३९.५७ ( भुवन विन्यास के अन्तर्गत पिशाच नामक पर्वत पर कुबेर भवन की स्थिति का उल्लेख ), ४०.८ ( आग्नेय नामक गन्धर्व गणों के कुबेर - अनुचर होने का उल्लेख ), ४१.४( कैलास पर्वत पर धनाध्यक्ष कुबेर के नगर में कुबेर के वाहन पुष्पक विमान की स्थिति का उल्लेख ), ४७.१ ( कैलास पर्वत पर कुबेर के निवास का उल्लेख ), ६९.१९६/२.८.१९० ( पौलस्त्य तथा अगस्त्य नामक यक्षों, राक्षसों के राजा के रूप में कुबेर का उल्लेख, यक्षों आदि की आपेक्षिक पदस्थिति ), ७०.३९ ( विश्रवा व देववर्णिनी - पुत्र, ऋद्धि - पति, नलकूबर - पिता, कुबेर शब्द की निरुक्ति का कथन ), ७७.७८ ( कुबेरतुङ्ग में श्राद्धदान के अक्षय फलदायी होने का उल्लेख ), ९७.२ ( देवात्माओं में कुबेर का उल्लेख ), विष्णु ५.३६.१२ ( नन्दनवन में कुबेर के समान रैवत उद्यान में बलभद्र के रमण का उल्लेख ), विष्णुधर्मोत्तर १.१०६.५६( उशना/शुक्र द्वारा कुबेर के धन का अपहरण करने और कुबेर व शुक्र में मैत्री होने की कथा ), १.२१९ ( विश्रवा व देववर्णिनी - पुत्र वैश्रवण / कुबेर को यक्षाधिपतित्व, धनाधिपतित्व, लोकपालाधिपतित्व तथा पुष्पक विमान की प्राप्ति, लङ्का पर कुबेर के राज्य का कथन ), १.२२२.४ ( रावण द्वारा धनद / कुबेर से पुष्पक विमान के अपहरण का उल्लेख ), २.१३२.९,१४ ( कौबेरी शान्ति के पद्मवर्णीय तथा पृथ्वी पर संस्थित होने का उल्लेख ), शिव २.१.१९ ( यज्ञदत्त - पुत्र गुणनिधि का ही अनजाने में किए हुए शिवाराधना से विश्रवा - पुत्र कुबेर बनना, कुबेर द्वारा तप, तप से प्रसन्न शिव द्वारा कुबेर को निधीश्वर, गुह्यकेश्वर, यक्षेश्वर तथा किन्नरेश्वर होने का वर प्रदान, असूयापूर्वक उमा के पुन:- पुन: दर्शन से उमा द्वारा वैश्रवण को वाम नेत्र में विकार द्वारा कुवेर नाम प्रदान करने का वृत्तान्त ), २.५.३६.९ ( देव - दानव युद्ध में कुबेर के कालकेय से युद्ध का उल्लेख ), ५.३३.२१( राजाओं के अधिपति के रूप में वैश्रवण का उल्लेख ), स्कन्द १.१.८.२३( कुबेर द्वारा रौक्म लिङ्ग की अर्चना का उल्लेख ), १.२.१८ ( देवासुर संग्राम में धनाध्यक्ष कुबेर के साथ जम्भ - कुजम्भ दैत्यों के युद्ध का वर्णन ), ३.१.११.२७ ( देव - राक्षस युद्ध में कुबेर द्वारा रुधिराक्ष के वध का उल्लेख ), ३.१.२३.२७ (असुर विनाशक माहेश्वर यज्ञ में कुबेर के उन्नेता बनने का उल्लेख ), ३.१.४४.४३(कुबेर द्वारा प्रदत्त अम्भः से अन्तर्हित भूतों के दर्शन का कथन), ३.१.४९.५३ ( कुबेर द्वारा रामेश्वर की स्तुति ), ४.१.१३.३१ ( पूर्वजन्म में दुष्ट चरित्र गुणनिधि का दीपदान के प्रभाव से जन्मान्तर में कलिङ्गराज दम व अलकाधिपति कुबेर बनने का वृत्तान्त ), ५.३.२८.११( बाण के त्रिपुर नाश हेतु शिवरथ में धनाधिप कुबेर के अग्रकील बनने का उल्लेख ), ५.३.२९.७ ( कावेरी - नर्मदा सङ्गम के माहात्म्य वर्णन में कुबेर नामक यक्ष के तीर्थ प्रभाव से यक्षाधिप बनने का वृत्तान्त ), ५.३.१३३.११,१७ ( कुबेर की महादेव से यक्षेश्वर रूप वर प्राप्ति की प्रार्थना, कुबेर द्वारा कुबेरेश्वर तीर्थ की स्थापना, तीर्थ में स्नान से अश्वमेध फल प्राप्ति का कथन ), ५.३.१६८.११( विश्रवा - पुत्र वैश्रवण / कुबेर के परम तप से संतुष्ट होकर महादेव द्वारा वैश्रवण को यम आदि देवों में चतुर्थ स्थान प्रदान करने का कथन ), ५.३.२३१.१४ ( रेवा - सागर संगम पर ५ धनदेश्वर तीर्थों की स्थिति का उल्लेख ), ७.१.२०.२४ (विश्रवा व वेदवर्णिनी - पुत्र, वृद्धि- पति, नलकूबर - पिता, वैश्रवण द्वारा कुत्सित शरीर होने से कुबेर नाम धारण करने का उल्लेख ), ७.१.२९० ( न्यंकुमती नदी के तट पर सोमनाथ लिङ्ग पूजन से कुबेर को सख्यत्व, दिक्पालत्व तथा धनाधिपत्य रूप तीन वरों की प्राप्ति, उस स्थान की कुबेर नगर के रूप से प्रसिद्धि होने का कथन ), ७.१.२९३ ( कुबेर पूजन से निधि प्राप्ति का कथन ), हरिवंश १.६.३३ ( पृथ्वी दोहन में यक्षों द्वारा वैश्रवण कुबेर को वत्स/बछडा बनाने का उल्लेख ), ३.५३.२३ ( देवों तथा असुरों के द्वन्द्व युद्ध में कुबेर का अनुह्राद से युद्ध ), ३.६० ( कुबेर व अनुह्राद के युद्ध का वर्णन ), वा.रामायण १.१७.१२ ( कुबेर के पुत्र रूप में तेजस्वी वानर गन्धमादन का उल्लेख ), ३.४.१६ ( वैश्रवण कुबेर के शाप से तुम्बुरु नामक गन्धर्व के विराध नामक राक्षस होने का कथन ), ७.१८.५ ( राजा मरुत्त के यज्ञ में रावण भय से देवताओं के तिर्यक् योनि में प्रवेश करने पर धनाध्यक्ष कुबेर के कृकलास बनने का उल्लेख ), लक्ष्मीनारायण १.२६३.१०८ ( शाकटायन विप्र से प्राप्त मणि को पुलस्त्य द्वारा कुबेर को अर्पित करना, पश्चात् रावण का कुबेर से मणि छीनकर स्वर्णलङ्का के निर्माण का कथन ), १.३८२.२६( विष्णु के कुबेर व लक्ष्मी के ऋद्धि होने का उल्लेख ), १.५३३.१२२( शरीर की धनञ्जय वायु के दिव्य रूप में कुबेर बनने का उल्लेख ), १.५४३.७३ ( दक्ष द्वारा कुबेर को अर्पित ५ कन्याओं के नाम ), १.५४५.५१ ( दीपदान तथा शिवपूजन के फलस्वरूप दुर्मुख नामक राजा का विश्रवा - पुत्र कुबेर बनना, जातिस्मर होने से कुबेर का प्रभास क्षेत्र में आकर न्यङ्कुमती के तट पर शिव मन्दिर का निर्माण, शिव मन्दिर की कुबेरशंकर तीर्थ के रूप में प्रसिद्धि, प्रसन्न शिव द्वारा कुबेर को सस्यत्व, धनाधिपत्य, तथा दिक्पालत्व रूप तीन वर प्रदान करना, कुबेरेश तीर्थ में जाकर पूजन करने वाले के गृह में सात पीढियों तक लक्ष्मी के निवास का कथन ), २.१८.२२( कुबेर - कन्याओं द्वारा कृष्ण को पादपीठ समर्पित करने का कथन ), २.१६०.७१ ( कुबेर के लिए प्रियङ्गु ओदन के अर्पण का विधान ), ३.६४.२ (प्रतिपदा तिथि को श्री हरि के कुबेर रूप की पूजा का उल्लेख ), ३.१०१.६८ ( हिरण्यवर्णा पिङ्गाक्षी गौ के दान से कुबेर लोक की प्राप्ति का उल्लेख ), कथासरित् १.२.१९ ( धनद / कुबेर द्वारा काणभूति नामक यक्ष को शाप प्रदान, दीर्घजङ्घ के प्रार्थना करने पर कुबेर द्वारा शाप मोचन के उपाय का कथन ), २.२.४२ ( कुबेर के शाप से यक्ष के सिंह रूप होने का उल्लेख), २.२.७६ ( धनाधिपति / कुबेर द्वारा कौशिक मुनि की तपस्या में विघ्न हेतु राक्षसी के प्रेषण का उल्लेख ), ६.८.७५ ( ब्रह्महत्या के अपराध में धनद / कुबेर द्वारा विरूपाक्ष नामक यक्ष को मनुष्य योनि में उत्पन्न होने का शाप ), ७.४.६९ ( प्रपञ्चबुद्धि नामक भिक्षु को मारने पर धनाधिप द्वारा राजा को वर प्रदान का उल्लेख ), ८.२.१७७ ( कुबेर - कन्या तेजस्विनी का सुनीथ - पत्नी होने का उल्लेख ), ८.५.१८, २४ ( कुबेरदत्त : दामोदर की सहायतार्थ आए हुए १४ महारथियों में से एक, कुबेरदत्त के साथ प्रमथन के द्वन्द्व युद्ध का उल्लेख ), ८.७.३८ ( कुबेरदत्त : महामाय दानव द्वारा कुबेरदत्त नामक विद्याधर के वध का उल्लेख ), ९.१.९७ ( पाप शान्ति हेतु मुनि वाल्मीकि द्वारा लव को कुबेर सरोवर से स्वर्णकमल लाकर शिवलिङ्ग पूजा का आदेश ), १२.५.३९ (वैश्रवण / कुबेर के मन में मानसरोवरस्थ दिव्य सहस्रदलकमल को लेने की इच्छा तथा उनके द्वारा शिवाराधना का कथन ), १८.२.३ ( मदनमञ्जरी के धनद - भ्राता मणिभद्र की पत्नी तथा यक्षराज दुन्दुभी की सुता होने का उल्लेख ) । kubera
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