पुराण विषय अनुक्रमणिका PURAANIC SUBJECT INDEX (Kaamanaa - Kumaari) RADHA GUPTA, SUMAN AGARWAL & VIPIN KUMAR
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Puraanic contexts of words like Kaalasuutra, Kaalaagni, Kaalikaa, Kaalindi etc. are given here. कालवदन वामन ६.८७( विष्णु द्वारा सृष्ट ४ वर्णों में तृतीय कालवदन का उल्लेख ; आपस्तम्ब के कालवदन होने का कथन ) ।
कालवन्दि ब्रह्माण्ड ३.४.१६.१७ ( ललिता देवी का अनुसरण करने वाली अश्व सेना में कालवन्दि आदि राज्यों के घोडे होने का उल्लेख ) ।
कालवाशित ब्रह्माण्ड ३.४.२१.७७ ( भण्ड के सेनानियों में से एक ) ।
कालवीर्य मत्स्य ६.२८ ( विप्रचित्ति व सिंहिका के सैंहिकेय संज्ञक १३ पुत्रों में से एक, हिरण्यकशिपु का भ्रातृ - पुत्र ) ।
कालशंबर विष्णु ५.२७.३ ( मायावी दैत्य कालशंबर द्वारा जन्म के छठें दिन प्रद्युम्न के हरण तथा समुद्र में क्षेपण का उल्लेख ), ५.२७.२० ( मायावती की अष्टमी माया का प्रयोग कर प्रद्युम्न द्वारा कालशंबर के वध का उल्लेख ) ।
कालशाक स्कन्द ६.२२०.३१( श्राद्ध में कालशाक भोजन के महत्त्व का कथन )
कालशिख मत्स्य २००.८ ( वसिष्ठ वंशज ऋषियों में से एक ऋषि ) ।
कालसंकर्षणी मत्स्य १७९.६८ ( अन्धकासुर के रक्तपान हेतु शिव द्वारा सृष्ट मानस मातृकाओं के उत्पात शमनार्थ नृसिंह रूप धारी हरि द्वारा सृष्ट वागीश्वरी देवी की आठ अनुचरियों में कालसंकर्षणी का उल्लेख ) ।
कालसर्पि ब्रह्माण्ड २.३.१३.९८ ( काश्यप तीर्थ की कालसर्पि रूप से प्रसिद्धि तथा श्राद्ध हेतु कालसर्पि तीर्थ की प्रशस्तता का उल्लेख ), वायु ७७.८७ ( अक्षय श्राद्ध हेतु काश्यप के कालसर्पि तीर्थ में नित्य श्राद्ध का उल्लेख ) । kaalasarpi/ kalsarpi
कालसूत्र ब्रह्माण्ड ३.४.२.१८१,१८४ ( पृथ्वी के नीचे स्थित सात नरकों में तृतीय नरक कालसूत्र का निकृन्तन सर्प के वास स्थान के रूप में उल्लेख, अपर नाम महाहि ), ३.४.३३.६० ( यमपुर में स्थित दण्डधारी प्रभु द्वारा श्री ललिता देवी की आज्ञा से दुराचारियों को कालसूत्र आदि नरकों में गिराने का उल्लेख ), भागवत ५.२६.७,१४ ( २८ नरकों में से एक, माता - पिता, ब्राह्मण तथा वेद विरोधी को कालसूत्र नरक की प्राप्ति, कालसूत्र नरक के स्वरूप का वर्णन ), वायु १०१.१७८ (तृतीय नरक कालसूत्र का निकृन्तन नामक सर्प के निवास स्थान के रूप में उल्लेख, अपर नाम महाहविधि ), ११०.४२ ( कालसूत्र आदि नरकों में गए हुए स्वजनों हेतु पिण्ड प्रदान का उल्लेख ), विष्णु १.६.४१,४२ ( वेद - निंदकों, यज्ञ - विध्वंसकों तथा स्वधर्म त्यागियों को कालसूत्र प्रभृति नरकों की प्राप्ति का उल्लेख ), २.६.४ ( अट्ठाइस मुख्य नरकों में से एक ) । kaalasuutra /kaalasutra/ kalsutra
कालस्वर देवीभागवत ९.२२.४ ( शंखचूड - सेनानी कालस्वर के काल से युद्ध का उल्लेख ) ।
कालहस्तीश स्कन्द २.१.३०.१३ ( सुवर्णमुखरी तीरस्थ कालहस्ती पर्वत पर अर्जुन द्वारा कालहस्तीश के पूजन का उल्लेख ) ।
काला मत्स्य १३.४९ ( चन्द्रभागा तीर्थ में सती देवी की काला नाम से स्थिति का उल्लेख ), १७१.२९ ( दक्ष प्रजापति की १२ कन्याओं में से एक, कश्यप - पत्नी ), १७१.५९ ( काला से कालकेय नामक असुरों व राक्षसों के उत्पन्न होने का उल्लेख ), वायु ६६.५५ ( दक्ष - पुत्री, कश्यप - पत्नी ) ।
कालाक्ष स्कन्द ४.२.७४.५४ ( कालाक्ष गण द्वारा काशी में पूर्व दिशा की रक्षा का उल्लेख ) ।
कालाग्नि देवीभागवत ९.१.११७ ( कालाग्नि का रुद्र - पत्नी तथा निद्रा देवी के रूप में उल्लेख ), ब्रह्माण्ड १.२.१३.११७ ( कालाग्नि का परिवत्सर रूप में उल्लेख ), ३.४.१.१५७ ( अग्नि के भयंकरतम रूप कालाग्नि द्वारा भू, भुव:, स्व: तथा मह नामक चारों लोकों के संहार का उल्लेख ), वामन ९०.३५ ( रसातल में विष्णु के नामों में से एक ), स्कन्द ४.२.५८.१६२ ( कालाग्नि रुद्र का शिव रथ में भल्ल बनने का उल्लेख ), ५.३.१८७ ( जालेश्वर में स्थित कालाग्नि रुद्र तीर्थ का माहात्म्य : तीर्थ में स्नान व पूजन से सर्व कार्य सिद्धि का उल्लेख ), ७.१.७.१४ ( द्वितीय कल्प में श्री सोमेश्वरदेव की ही कालाग्नि रुद्र नाम से प्रसिद्धि का उल्लेख ) । kaalaagni/ kalagni
कालात्मा वायु ३१.५५ ( युगाभिमानी ), ६६.१२५ (तमोगुणमयी तामसी मूर्ति में ब्रह्मा के अंश से कालात्मा रुद्र की उत्पत्ति का उल्लेख ) ।
कालादन लक्ष्मीनारायण ३.२०.३ ( सुरनदी तट पर कालादन वन में क्ष्मासुरों के वास का उल्लेख ) ।
कालानल ब्रह्माण्ड १.२.२५.४५, ५६ (समुद्र मन्थन से उत्पन्न विष की कालानल से समता का उल्लेख ), २.३.७४.१३ ( अनु - सुत सभानर का पुत्र, संजय - पिता ), विष्णु ४.१८.२, ३ (सभानल - पुत्र, सृंजय - पिता, ययाति वंश ) ।
कालान्तक गणेश २.६३.२९ ( देवान्तक - सेनानी, वशिता सिद्धि से युद्ध ), २.६४.१ ( देवान्तक असुर - सेनानी, प्राकाम्य व वशित्व सिद्धियों से युद्ध व मृत्यु ) ।
कालाम्र ब्रह्माण्ड १.२.१५.५८ ( भद्रशाल वन में कालाम्र वृक्ष की स्थिति का उल्लेख ), १.२.१५.६१ ( कालाम्र के रस का पान करने से यौवन की स्थिरता का उल्लेख ), मत्स्य ( भद्रमाल वन में कालाम्र नामक वृक्ष की स्थिति का उल्लेख ), ११३.५५ ( कालाम्र वृक्ष के फलों के रसपान से यौवन के स्थायित्व तथा नीरोगता का उल्लेख ), वायु ४३.६, ९ ( भद्राश्व देश के शालवन का एक वृक्ष, कालाम्र रसपान से दीर्घायु, नीरोगता तथा स्थिर यौवन की प्राप्ति का उल्लेख ) । kaalaamra/ kalamra
कालायनि विष्णु ३.४.२५ ( ऋग्वेद शाखा - प्रवर्तक बाष्कल के ३ शिष्यों में से एक ) ।
कालायस ब्रह्माण्ड ३.४.३१.३४ ( मेरु के मध्य शिखर पर स्थित श्रीपुर के कालायस शाल नामक प्रथम प्राकार की निर्मिति आदि का कथन ), स्कन्द १.२.१३.१८४( शतरुद्रिय प्रसंग में यम द्वारा कालायस लिङ्ग की धन्वी नाम से पूजा का उल्लेख ) ।
कालिक ब्रह्माण्ड १.२.३५.५१ ( सामगश्रेष्ठ कृत के २४ शिष्यों में से एक ), २.३.६.२९ ( मय व रम्भा के ६ पुत्रों में से एक, मन्दोदरी - भ्राता ), वायु ६१.४५ ( सामगश्रेष्ठ कृत के चौबीस शिष्यों में से एक ), स्कन्द ७.४.१७.३० ( द्वारका के वायव्य द्वार पर स्थित अनेक द्वारपालों में से एक ) ।
कालिका देवीभागवत ३.२६.४२ ( षड~वर्षीया कन्या की कालिका नाम से पूजा करने का उल्लेख ), ३.२६.४८ ( शत्रुनाशार्थ कालिका पूजन का उल्लेख ), ५.२३.३ ( पार्वती के शरीर से अम्बिका के निकल जाने पर कृष्ण रूप की कालिका नाम से प्रसिद्धि का उल्लेख ), ५.२५ ( कालिका देवी द्वारा शुम्भ - सेनानी धूम्रलोचन के वध का वृत्तान्त ), ५.२६ ( कालिका देवी द्वारा शुम्भ - सेनानियों चण्ड-मुण्ड के वध का वृत्तान्त, चण्ड - मुण्ड वध से चामुण्डा नाम धारण का उल्लेख ), नारद १.६६.१३७( गणेश्वर गणेश की शक्ति कालिका का उल्लेख ), १.८५ (वाक् देवता की अवतार रूप कालिका का मन्त्र, तन्त्र विधान तथा फल निरूपण ), ब्रह्माण्ड ३.४.४४.८६ ( शक्ति न्यास में कालिका शक्ति के न्यास का उल्लेख ), ब्रह्मवैवर्त्त ३.३९.१५ ( दुर्गा कवच में कालिका देवी से आग्नेयी दिशा की रक्षा की प्रार्थना ), भविष्य २.२.२.३१ ( कृष्ण व्याघ्र के कालिका का वाहन होने का उल्लेख ), मत्स्य २२.३६ ( श्राद्ध कर्म में स्नान - दान हेतु कालिका नदी की प्रशस्तता का उल्लेख ), मार्कण्डेय ८५.४१ ( पार्वती के शरीर कोश से अम्बिका के निकल जाने पर कृष्ण वर्ण पार्वती की कालिका रूप से प्रसिद्धि का उल्लेख ), शिव २.३.५ ( मेना की भक्ति से प्रसन्न होकर कालिका देवी का प्रत्यक्ष होकर मेना को वर प्रदान करने का उल्लेख ), ५.४४.५०, ९१ ( कृष्ण द्वैपायन व्यास की माता सत्यवती का उपनाम ), स्कन्द १.२.६२.७ ( दारुक दैत्य वधार्थ पार्वती द्वारा शिव - कण्ठ की कालिमा से कालिका की उत्पत्ति, बाल रुद्र द्वारा स्तनपान के व्याज से कालिका के क्रोध के पान का उल्लेख ), हरिवंश १.३.९२, ९४ ( वैश्वानर दानव की दो पुत्रियों में से एक, मरीचिनन्दन कश्यप की पत्नी, कालकेय दानवोंकी माता ), ( कालिकामुख : सुमाली व केतुमती के दस पुत्रों में से एक ), लक्ष्मीनारायण १.१७६.९१( दक्ष यज्ञ नाश के संदर्भ में शिव द्वारा जटा के मार्जन से कालिका की उत्पत्ति ), कृष्णोपनिषद २३( गदा के कालिका रूप होने का उल्लेख ) ।kaalikaa/ kalika
कालिन्द वायु ६९.३२ ( विक्रान्त द्वारा उत्पन्न अश्वमुखधारी किन्नर गणों में कालिन्द नामक किन्नरगण का उल्लेख ) ।
कालिन्दी गरुड २.२.२१.१( सूर्य - पुत्री कालिन्दी द्वारा तप से कृष्ण को पति रूप में प्राप्त करने का वृत्तान्त ), ३.२१.२(यमुना-अनुजा, कृष्ण की पति रूप में प्राप्ति हेतु तप), गर्ग १.३.३७ ( विरजा नदी के कृष्ण - पत्नी कालिन्दी के रूप में प्रकट होने का उल्लेख ), पद्म ३.२९ ( कालिन्दी तीर्थ माहात्म्य : कालिन्दी जल में स्नान से महान् फलों की प्राप्ति ), ५.७५.११ ( वृन्दावन में स्थित कालिन्दी नदी का शरीरस्थ सुषुम्ना के रूप में उल्लेख ), ६.१९९ (कालिन्दी माहात्म्य का वर्णन : इन्द्र के पूछने पर बृहस्पति का खाण्डव वन में कालिन्दी के तट को यज्ञ हेतु परम पवित्र स्थान बतलाना ), ६.२४९.४१ ( कृष्ण की आठ पत्नियों में कालिन्दी का उल्लेख, वैवस्वती का रूप ), भागवत १०.५८.२० ( कृष्ण - प्रेषित अर्जुन के पूछने पर कालिन्दी द्वारा स्वयं के सूर्य - पुत्री होने, यमुना जल में निवास करने तथा कृष्ण को पति रूप में वरण करने हेतु तपश्चर्या करने का वृत्तान्त ), १०.५८.२३ (कृष्ण का कालिन्दी को रथ पर बैठाकर युधिष्ठिर के पास ले आने का उल्लेख ), १०.५८.२९ ( कृष्ण द्वारा कालिन्दी के पाणिग्रहण का उल्लेख ), १०.६१.१४ (कृष्ण की आठ पटरानियों में से एक, कालिन्दी के श्रुत आदि १० पुत्रों का उल्लेख ), १०.८३.११(द्रौपदी के पूछने पर कालिन्दी द्वारा कृष्ण के साथ पाणिग्रहण का वर्णन ), मत्स्य ४७.१४ ( श्रीकृष्ण की सोलह हजार पत्नियों में से एक ), मार्कण्डेय ७५.३२ ( विक्रमशील - पत्नी, राजा दुर्गम की माता ), वामन ५७.७५ ( कालिन्दी द्वारा स्कन्द को कालकन्द नामक गण प्रदान करने का उल्लेख ), ६४.१० ( कपि का कालिन्दी नदी के जल में निमग्न होने तथा कालिन्दी का कपि को शिवि नामक स्थान में बहाकर ले जाने का उल्लेख, विश्वकर्मा - देववती वृत्तान्त ), ९०.३ ( कालिन्दी में विष्णु का त्रिविक्रम नाम से वास ),वायु ४४.२१ ( केतुमाल देश की अनेक नदियों में से एक ), ८४.३७ ( रवि व संज्ञा - पुत्री ), ९६.२३४ ( कृष्ण - पत्नी ), विष्णु ५.७.२ ( कृष्ण का गोपों के साथ कालिन्दी नदी के तट पर गमन का उल्लेख, कालिय दमन ), ५.१८.३४ ( व्रज से मथुरा की ओर जाते समय अक्रूर द्वारा कालिन्दी जल में स्नान, देवपूजादि करने का उल्लेख, अक्रूर को परमात्मा रूप में कृष्ण के दर्शन ), ५.२८.३ ( कृष्ण की सोलह प्रमुख पत्नियों में से एक ), ५.३२.४ ( कृष्ण - पत्नी कालिन्दी के श्रुत आदि पुत्रों की माता होने का उल्लेख ), ६.८.३६ ( कालिन्दी का नदी रूप में उल्लेख ), विष्णुधर्मोत्तर १.२१५.४४ ( कालिन्दी नदी द्वारा कच्छप वाहन से जनार्दन के अनुगमन का उल्लेख ), स्कन्द २.६.२.९८ ( कृष्ण - पत्नी, विरहातुर कृष्ण - पत्नियों का कालिन्दी से उसके मोद का रहस्य पूछना, कालिन्दी द्वारा मोद - रहस्य का निरूपण ), हरिवंश २.१०३.४, १४ ( कृष्ण की प्रमुख रानियों में एक, अश्रुत तथा श्रुतसम्मित - माता ), वा.रामायण १.७०.३३ ( इक्ष्वाकु वंशीय असित - पत्नी, सगर - माता ), लक्ष्मीनारायण १.४२९.१९ ( सूर्य - पुत्री यमुना का ही कलिन्दराज की पुत्री के रूप में उत्पन्न होकर श्रीकृष्ण से विवाहित होने का उल्लेख ), १.४२९.३२ ( श्रीकृष्ण - पत्नी कालिन्दी की सर्वकालिक प्रसन्नता का रहस्योद्घाटन करते हुए कालिन्दी के पातिव्रत्य का उल्लेख ), कथासरित् ८.२.३४८ ( महामुनि देवल की तीन कन्याओं में से एक तथा महल्लिका की बारह सखियों में से एक ) । kaalindi/ kalindi |