पुराण विषय अनुक्रमणिका PURAANIC SUBJECT INDEX (Kaamanaa - Kumaari) RADHA GUPTA, SUMAN AGARWAL & VIPIN KUMAR
|
|
Puraanic contexts of words like Kutumba, Kuthaara, Kunda, Kundala/earring etc. are given here. कुटीचक भागवत ३.१२.४३ ( संन्यासियों के चार प्रकारों में से प्रथम ) ।
कुटुम्ब गणेश १.७.१२ ( कुटुम्बिनी : वैश्य - पुत्र कामन्द की सती भार्या, दुष्ट प्रकृति कामन्द का वृत्तान्त ), मत्स्य १७९.३० ( कुटुम्बिका : अन्धक - रक्तपानार्थ महादेव द्वारा सृष्ट मानस मातृकाओं में से एक ), स्कन्द ५.१.१० ( कुटुम्बिकेश्वर तीर्थ का संक्षिप्त माहात्म्य : भिन्न - भिन्न तिथियों में तीर्थ में किए गए व्रत, दान आदि से शिवलोक की प्राप्ति ), ५.१.६७ ( कुटुम्बेश्वर तीर्थ का माहात्म्य : तीर्थ में स्नान से मनुष्य के कुटुम्ब युक्त होने तथा तीर्थ में समस्त देवों की स्थिति का कथन ), ५.२.१४ ( कुटुम्बेश्वर लिङ्ग का माहात्म्य : कालकूट विषलिङ्ग का कुटुम्ब वृद्धिकारक लकुलीश लिङ्ग में परिवर्तन ) । kutumba
कुठार भागवत ११.१२.२४ ( विद्या रूपी तीक्ष्ण कुठार से जीवभाव के कर्त्तन का उल्लेख ), योगवासिष्ठ ५.३१.५५( विष्णु की नन्दक नामक कुठार का उल्लेख ; प्रह्लाद द्वारा स्ववह्नि में नन्दक कुठार की धारणा ) ।
कुणि ब्रह्माण्ड २.३.८.९७ ( वसिष्ठ व घृताची - पुत्र, वसु - पिता, अपर नाम इन्द्रप्रमति ), भागवत ९.२४.१४ ( जय - पुत्र, युगन्धर - पिता, वृष्णि वंश ), वायु २३.१६९ ( १५ वें द्वापर के अवतार वेदशिरा के चार पुत्रों में से एक ), विष्णु ४.१४.३ ( सञ्जय - पुत्र, युगन्धर -पिता, वृष्णि वंश ), शिव ३.५.१४ ( १५वें द्वापर में शिव के अवतार वेदशिरा के चार पुत्रों में से एक ), ७.२.९.१५ ( शिव के योगी शिष्यों में से एक ) । kuni
कुणिबाहु वायु २३.१६९ ( १५वें द्वापर के अवतार वेदशिरा के चार पुत्रों में से एक ), शिव ३.५.१४ ( १५वें द्वापर में शिव के अवतार वेदशिरा के चार पुत्रों में से एक ), ७.२.९.१५ ( शिव के योगाचार्य शिष्यों में से एक ) ।
कुण्ठा लक्ष्मीनारायण १.३१७.४७( विकुण्ठा की निरुक्ति : वृत्तियों को कुण्ठित करने वाली ), द्र. विकुण्ठा,
कुण्ड अग्नि २४ ( अग्नि कुण्ड निर्माण विधि का कथन ), ३४.३४ ( होम कुण्ड में कुण्ड लक्ष्मी के ध्यान का कथन ), ९५.२० ( लिङ्ग प्रतिष्ठा हेतु होम में कुण्ड निर्माण विधि का कथन ), कूर्म १.२४.३१ ( अन्धक द्वारा कुण्ड व गोलादि ब्राह्मणों से सुने गए शास्त्र के प्रवर्तन का उल्लेख ), गणेश २.१५.८ ( महोत्कट गणेश द्वारा गजरूप धारी कुण्ड दैत्य के वध का उल्लेख ), देवीभागवत २.६.४७( अंशज, पुत्रिकापुत्र, क्षेत्रज, गोलक, कुण्ड, सहोढ, कानीन आदि पुत्र प्रकारों में उत्तरोत्तर की निकृष्टता का उल्लेख ), ९.३२.५ ( नरक के ८६ कुण्डों के नाम व वर्णन ), पद्म १.१८.२०७ ( पुष्कर स्थित ज्येष्ठ,मध्यम तथा कनिष्ठ कुण्ड में स्नान व दान के फल का कथन ), १.३४.५५ ( कुण्डवापी में शुभांग नाम से ब्रह्मा के निवास का उल्लेख ), २.२७.१३ ( ब्रह्मा द्वारा नदी, तडाग, वापी, कुण्ड तथा कूप आदि के राज्य पर सागर के अभिसिंचन का उल्लेख ), ६.१३६.३ ( नन्दि कुण्ड का परम पवित्र तीर्थ के रूप में उल्लेख ), ६.२१५.३३ ( मुनि - पुत्र द्वारा बुध को स्वैरिणी - पुत्र कुण्ड कहने पर बुध द्वारा मुनिपुत्र को कुण्ड होने का शाप, पिता के प्रार्थना करने पर बुध द्वारा कुण्डत्व रूप शाप से मुक्ति के उपाय का कथन ), ब्रह्म २.८४ ( सहस्र कुण्ड तीर्थ का माहात्म्य : गौतमी में स्नान से राम के सन्ताप का शमन, इसी स्थान के सहस्र कुण्ड तीर्थ रूप से प्रसिद्ध होने का उल्लेख ), ब्रह्मवैवर्त्त २.२९.६ ( नरक में स्थित ८६ कुण्डों का नामोल्लेख ), २.३० ( भिन्न - भिन्न पापकर्मों द्वारा भिन्न - भिन्न नरककुण्डों की प्राप्ति का वर्णन ), ब्रह्माण्ड २.३.७.२४१( किष्किन्धा स्थित वालि के प्रधान वानर सेनापतियों में से एक ), भविष्य २.१.१३ ( यज्ञ कुण्ड के प्रकार व निर्माण की विधि का वर्णन ), २.१.१५ ( यज्ञ कुण्डों के १८ संस्कारों का वर्णन ), २.२.४ ( विविध कुण्ड निर्माण में दक्षिणा का कथन ), ३.३.३२.४० ( मद्रकेश के कौरवों के अंश १० पुत्रों में से एक ), मत्स्य २६४ ( कुण्ड निर्माण ), लिङ्ग २.२२.६७ ( होमकुण्ड निर्माण विधि का कथन ), वराह १४१.४ ( बदरिकाश्रम - स्थित ब्रह्म कुण्ड में स्नान के संक्षिप्त माहात्म्य का कथन ), १४१.२४ ( बदरिकाश्रम - स्थित द्वादशादित्य कुण्ड में स्नान के संक्षिप्त माहात्म्य का कथन ), १४१.५२ ( बदरिकाश्रम - स्थित उर्वशी कुण्ड में स्नान से पापमुक्त होने तथा उर्वशी लोक प्राप्त करने का कथन ), १४३.१५ ( मन्दार तीर्थ में स्थित मन्दार कुण्ड में स्नान से विष्णुलोक की प्राप्ति का कथन ), १४३.१८ ( मन्दार तीर्थ में स्थित स्नान कुण्ड में स्नान के माहात्म्य का कथन ), १४५.५३ ( शालग्राम क्षेत्र में स्थित गदा कुण्ड में स्नान की महिमा का वर्णन ), १४८.४९ ( स्तुतस्वामी तीर्थ में स्थित भृगु कुण्ड में स्नान के संक्षिप्त माहात्म्य का कथन ), १४८.५३ ( स्तुतस्वामी तीर्थ में स्थित मणि कुण्ड में स्नान के संक्षिप्त माहात्म्य का कथन ), १४९.४७ ( द्वारका तीर्थ में स्थित हंस कुण्ड के माहात्म्य का कथन ), १५१.३५, ३८, ४१, ४७, ५०, ५३, ५६, ५९, ६३, ६६, ६९, ७३ ( लोहार्गल तीर्थ में स्थित पञ्चसर कुण्ड, नारद कुण्ड, वसिष्ठ कुण्ड, सप्तर्षि कुण्ड, शरभंग कुण्ड, अग्निसर कुण्ड, बृहस्पति कुण्ड, वैश्वानर कुण्ड , कार्तिकेय कुण्ड, उमा कुण्ड, महेश्वर कुण्ड तथा ब्रह्म कुण्ड के संक्षिप्त माहात्म्य का कथन ), १६४.१९, २०, २८, २९, ३६ ( पुण्डरीक कुण्ड, अप्सरस कुण्ड, कदम्बखण्ड कुण्ड, देवगिरि कुण्ड तथा राधा कुण्ड के संक्षिप्त माहात्म्य का कथन ), १६६ ( असि कुण्ड के निर्माण के हेतु का कथन तथा प्रभाव का वर्णन ), १८९.२३( श्राद्ध कर्म में कुण्ड व गोलक ब्राह्मणों के आमन्त्रण का निषेध, मेधातिथि राजा के पितरों का दृष्टान्त ), २१५.१०० ( उमास्तव कुण्ड के संक्षिप्त माहात्म्य का कथन ), शिव ७.२.२७.३ ( अग्नि कार्य हेतु कुण्ड निर्माण की विधि ), स्कन्द २.८.२ ( अयोध्या के अन्तर्गत ब्रह्मा द्वारा निर्मित ब्रह्मकुण्ड के माहात्म्य का कथन ), २.८.६ ( सीताकुण्ड के संक्षिप्त माहात्म्य का कथन ), २.८.७.९ ( बृहस्पति कुण्ड के संक्षिप्त माहात्म्य का कथन ), २.८.७.२० ( रुक्मिणी कुण्ड के संक्षिप्त माहात्म्य का कथन ), २.८.७.६९ (वसिष्ठ कुण्ड के संक्षिप्त माहात्म्य का कथन ), २.८.७.७७ (सागर कुण्ड के संक्षिप्त माहात्म्य का कथन ), २.८.७.८५ ( उर्वशी कुण्ड के संक्षिप्त माहात्म्य का कथन ), २.८.७.१०८ ( घोषार्क कुण्ड के माहात्म्य का कथन ), २.८.८ ( रतिकुण्ड तथा कुसुमायुध कुण्ड के संक्षिप्त माहात्म्य का कथन ), २.८.८.६८ ( क्षीरकुण्ड की सीताकुण्ड के नाम से प्रसिद्धि का उल्लेख ), २.८.८.७७ (सीताकुण्ड की प्रत्यक् दिशा में हनुमत्कुण्ड की स्थिति का उल्लेख ), २.८.९ ( सीता, भैरव व जरा कुण्ड ), ३.१.१४ ( ब्रह्म कुण्ड ), ३.१.१५ ( हनुमत् कुण्ड के माहात्म्य का कथन : धर्मसखा राजा को कुण्ड के प्रभाव से पुत्र की प्राप्ति ), ३.१.१८ ( राम कुण्ड ), ३.२.१३.५८ ( रविकुण्ड के संक्षिप्त माहात्म्य का कथन ), ४.१.४७ ( उत्तरार्क कुण्ड के माहात्म्य तथा अर्क कुण्ड की बर्करी कुण्ड नाम से भी प्रसिद्धि का कथन ), स्कन्द ४.२.९७.१०५ ( कुण्डेश लिङ्ग का संक्षिप्त माहात्म्य ), ५.१.२८.४१ ( रूपकुण्ड में स्नान से सुरूपता की प्राप्ति ), ५.१.२८.४२ ( अनङ्ग कुण्ड में स्नान आदि से अभीष्ट काम की प्राप्ति ), ५.१.२८.४४ ( करी कुण्ड में स्नान से पाप से मुक्ति ), ५.१.२८.४५ ( अजागन्ध कुण्ड में स्नान से पाप नाश ), ५.१.२८.४६ ( चक्रतीर्थ कुण्ड में स्नान से चक्रवर्तित्व की प्राप्ति ), ५.१.३१.७ ( कुण्डेश्वर के दर्शन से शिव दीक्षा फल प्राप्ति का उल्लेख ), ५.१.६२ ( गोमती कुण्ड उत्पत्ति की कथा तथा माहात्म्य का कथन ), ५.२.४० ( कुण्डेश्वर लिङ्ग की उत्पत्ति की कथा तथा माहात्म्य का कथन ), ६.४२ ( विश्वामित्र कुण्ड की उत्पत्ति तथा माहात्म्य का कथन ), ७.१.२३ ( चन्द्रमा के यज्ञ में सहस्र कुण्डों के निर्माण का उल्लेख ), ७.१.१४७ ( ब्रह्मा द्वारा निर्मित ब्रह्म कुण्ड के माहात्म्य का कथन ), लक्ष्मीनारायण १.३७०.२५ ( नरक में स्थित ८६ विभिन्न कुण्ड व पाप अनुसार कुण्ड प्राप्ति का वर्णन ), २.१४२.५२ ( कुण्ड परिमाण तथा निर्माण विधि का वर्णन ), २.१५० ( यज्ञ कर्म में कुण्ड पूजा विधि का वर्णन ), २.१६७.५५ ( विश्वकर्मा द्वारा यज्ञ हेतु ९ प्रकार के २८ कुण्डों के निर्माण का कथन ) । kunda
कुण्डक ब्रह्माण्ड १.२.३३.१० ( एक श्रुतर्षि ), विष्णु ४.२२.९ ( क्षुद्रक - पुत्र, सुरथ - पिता, इक्ष्वाकु वंश ) ।
कुण्डकर्ण शिव ३.५.३८ ( पच्चीसवें द्वापर में दण्डीमुण्डीश्वर नाम से शिव के अवतार ग्रहण करने पर चार शिष्यों में से एक ) ।
कुण्डजठर वामन ५७.८६ ( कृत्तिकाओं द्वारा कार्तिकेय को प्रदत्त पांच अनुचरों में से एक ), ६९.५१ ( दानव - प्रमथगण युद्ध में हस्ती के कुण्डजठर से युद्ध का उल्लेख ) ।
कुण्डधार भविष्य ३.३.३२.४० ( मद्रकेश के कौरवांश १० पुत्रों में से एक ), मत्स्य ४७.८४ ( शुक्राचार्य के धूम्रपान हेतु महादेव द्वारा धूम्रकर्त्ता कुण्डधार यक्ष की सृष्टि का कथन ), ४७.११९ ( भीषण तप के अनुष्ठान में रत शुक्राचार्य द्वारा कुण्डधार यक्ष द्वारा पातित कणधूम के सेवन का उल्लेख ) ।
कुण्डपायी ब्रह्माण्ड २.३.८.३१ ( निध्रुव तथा सुमेधा के पुत्रों का कुण्डपायी नाम से उल्लेख ), वायु ७०.२७ ( वही) ।
कुण्डल देवीभागवत २.६.३० ( कुन्ती द्वारा कवच व कुण्डलों से युक्त पुत्रोत्पत्ति का उल्लेख ), पद्म १.१६.१४५ (परमसुन्दरी बाला को देखकर इन्द्र द्वारा कर्णों में धारण किए गए कुण्डलों की अनावश्यकता का कथन ), १.२७.१६ (तटाक प्रतिष्ठा विधि वर्णन में स्वर्ण निर्मित कुण्डल आदि आभूषणों के दान का उल्लेख ), २.६१.४७ (कुण्डल नामक ब्राह्मण के सुकर्मा नामक पुत्र की मातृ - पितृ भक्ति का वृत्तान्त ), ५.४९.५ ( राम के अश्वमेध यज्ञ के अश्व का अङ्ग, वङ्ग, कलिङ्ग प्रभृति स्थानों पर भ्रमण करते हुए राजा सुरथ की कुण्डल नामक नगरी में पहुंचने का उल्लेख ), ५.९९.१८ ( जड आभूषणों की उपेक्षा करके सत्य व धर्म रूप कुडलों को धारण करने का उल्लेख ), ब्रह्म १.१९.१६( शेषनाग के एक कुण्डल होने का उल्लेख ), १.९३.२२ ( नरकासुर का वध होने पर भूमि द्वारा अदिति के कुण्डलों को कृष्ण को समर्पित करने का उल्लेख ), २.१०० ( मणिकुण्डल नामक वैश्य तथा गौतम ब्राह्मण की कथा द्वारा धर्म की महिमा का निरूपण ), ब्रह्मवैवर्त्त २.१०.१५०(लक्ष्मी द्वारा सरस्वती को मकर कुण्डल देने का उल्लेख), २.१६.१३५(रोहिणी के कुण्डल हरण का उल्लेख), भागवत ५.२५.७( अनन्त के एक - कुण्डल होने का उल्लेख ), १२.११.१२ ( कृष्ण द्वारा सांख्य योग रूप मकराकृति कुण्डल धारण करने का उल्लेख ), महाभारत आश्वमेधिक ५७.१२ ( उत्तङ्क मुनि का राजा सौदास से उनकी रानी के मणिमय कुण्डल मांगना, सौदास की आज्ञानुसार उत्तंक का कुण्डल हेतु महारानी के समीप गमन, महारानी द्वारा कुण्डलों के वैभव का कथन ), विष्णुधर्मोत्तर १.२३८.२२ ( बलि द्वारा अविचल कुण्डलों के माध्यम से रावण के दर्प भङ्ग का कथन ), स्कन्द ५.३.४१.१४ ( वैश्रवण व ईश्वरी - पुत्र कुण्डल द्वारा तप से महादेव के दर्शन, कुण्डलेश्वर की स्थापना का कथन ), ५.३.१५०.३५ ( काम द्वारा नर्मदा तट पर कुण्डलेश्वर शिव की अर्चना का कथन ), ६.२६३.१४( पञ्चेन्द्रिय रूपी पशुओं का हनन करके शीर्ष रूपी अग्निरहित कुण्ड में होम? का निर्देश ), ७.१.१४८ ( कुण्डल कूप माहात्म्य का कथन : शिवरात्रि में चोर द्वारा वणिक - भार्या का कर्णछेदन करके कुण्ड में लीन होना, सैनिकों द्वारा चोर का कपाल छेदन, जन्मान्तर में चोर का कूप प्रभाव से सुदर्शन राजा बनना ), ७.३.२.१८ ( गौतम - शिष्य उत्तङ्क द्वारा गुरु दक्षिणा हेतु मदयन्ती से कुण्डल प्राप्ति, तक्षक द्वारा चोरी, पुन: प्राप्त कर कुण्डलों को गौतम -पत्नी अहल्या को समर्पित करने का वृत्तान्त ), हरिवंश २.६४.५६ ( नरकासुर के वध के पश्चात् अदितिनन्दन इन्द्र द्वारा माता अदिति को कृष्ण - प्रदत्त कुण्डलों को प्रदान करने का उल्लेख ), लक्ष्मीनारायण ३.२२९.५५ ( आयस कुण्डल नामक दैत्य द्वारा रुटाणकी तथा आभीरी भक्त का धर्षण, कृष्ण द्वारा दैत्य के वध का कथन ); द्र. कनककुण्डल, विकुण्डल, श्रीकुण्डल, हेमकुण्डल । kundala |