पुराण विषय अनुक्रमणिका PURAANIC SUBJECT INDEX (Kaamanaa - Kumaari) RADHA GUPTA, SUMAN AGARWAL & VIPIN KUMAR
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Puraanic contexts of words like Kubjaa, Kubjaamraka, Kumaara, Kumaari etc. are given here. कुब्ज विष्णुधर्मोत्तर ३.४२.१२( पिशाचों के कुब्ज होने का उल्लेख )
कुब्जा गर्ग ४.१९.४० ( यमुना सहस्रनामों में से एक ), ५.६.११ ( कंस - दासी कुब्जा द्वारा कृष्ण व बलराम को स्निग्ध चन्दन का अनुलेप प्रस्तुत करना , कृष्ण कृपा से कुब्जा की कुब्जत्व से मुक्ति का वर्णन ), ५.९.४९ ( कृष्ण के कुब्जा गृह में आगमन व निवास का कथन ), ५.११.१० ( पूर्वजन्म में कुब्जा का शूर्पणखा होना, तप से प्राप्त शिव वर से कृष्ण काल में कृष्ण - प्रिया कुब्जा बनने का कथन ), ५.१७.१५ ( मथुरा की कुब्जा की अयोध्या की कुब्जा मन्थरा से तुलना ), नारद २.८०.३८ ( वृन्दा द्वारा नारद को कुब्जा की महिमा बतलाते हुए अङ्गराग अर्पण के पुण्य से कुब्जा को उत्तम संकेत की प्राप्ति का कथन ), पद्म २.९२.२० ( कुब्जा - रेवा संगम का संक्षिप्त माहात्म्य : तीर्थों द्वारा स्नान मात्र से शुक्लत्व प्राप्ति की कथा ), ब्रह्म १.८५.१( मथुरा में कंस - दासी कुब्जा पर कृष्ण की कृपा का प्रसंग ), ब्रह्मवैवर्त्त ४.६२.५४ ( ब्रह्मा के वरदान से शूर्पणखा का ही अगले जन्म में कुब्जा बनकर कृष्ण को पति रूप में प्राप्त करने का उल्लेख ), ४.७२.१५ ( मथुरा जाते हुए कृष्ण द्वारा कुब्जा को रूप यौवन प्रदान कर स्वभार्या बनाना तथा कुब्जा के उद्धार का वृत्तान्त ), ४.११५.९४ ( अनिरुद्ध का बाण के समक्ष कृष्ण - महिमा के अन्तर्गत कुब्जा उद्धार का कथन ; पूर्व जन्म में रावण - भगिनी शूर्पणखा ), भविष्य ३.४.२५.१६८ (राधाङ्ग से ललितादि सात्विक, कुब्जादि राजसिक तथा पूतनादि तामसिक गोपियों के उद्भव का उल्लेख ), भागवत १०.४२. ( कंस - दासी , मथुरा में त्रिवक्रा नाम, कुब्जा द्वारा कृष्ण व बलराम को अङ्गराग भेंट, कृष्ण कृपा से कुब्जत्व से मुक्ति की कथा ), १०.४८.१ ( कुब्जा के घर कृष्ण का आगमन , कृष्ण व कुब्जा के मिलन का वर्णन ), ११.१२.६ ( सत्संग के प्रभाव से भगवान् को प्राप्त करने वाले जनों में कुब्जा का उल्लेख ), विष्णु ५.२० ( कुब्जा पर कृष्ण की कृपा का प्रसंग ), स्कन्द ४.१.४५.३५ ( ६४ योगिनियों में से एक ), हरिवंश २.२७.२५ ( कृष्ण द्वारा कुब्जा पर कृपा का प्रसंग ), वा.रामायण १.३२.२६ ( राजा कुशनाभ की १०० सुन्दरी कन्याओं का वायु के शाप से कुब्जा होने का उल्लेख ), २.७ ( राम के अभिषेक का समाचार पाकर कैकेयी - दासी कुब्जा/मन्थरा के खिन्न होने तथा कैकेयी को उकसाने का वृत्तान्त ), २.८ ( कुब्जा /मन्थरा का राम राज्याभिषेक को कैकेयी के लिए अनिष्टकारी बताकर कैकेयी को पुन: भडकाना ), २.९ ( कुब्जा के कुचक्र से कैकेयी का कोपभवन में प्रवेश ), लक्ष्मीनारायण १.८३.२७( ६४ योगिनियों में से एक ),१.३७६.९०( शूर्पणखा का तप के फलस्वरूप जन्मान्तर में कुब्जा रूप में उत्पन्न होकर श्री कृष्ण को पति रूप में प्राप्त करने का उल्लेख ), १.५५९ .५९( बिल्वाम्रक तीर्थ के अन्तर्गत कुब्जा - रेवा संङ्गम में स्नान तथा शिव विष्णु के पूजन अर्चन से हरिकेश नामक ब्राह्मण की ब्रह्मराक्षसत्व से मुक्ति का कथन ) । kubjaa
कुब्जाम्रक अग्नि ३०५.४ ( कुब्जाम्रक तीर्थ में हृषीकेश नाम से श्री विष्णु के स्मरण का उल्लेख ), पद्म ६.१३३.९ ( जम्बू द्वीप के तीर्थों में से एक ), ६.१३३.१७ ( कुब्जाम्रक क्षेत्र में त्रिसन्ध्य तीर्थ का उल्लेख ), मत्स्य २२.६६ ( पितर श्राद्ध हेतु प्रशस्त तीर्थों में से एक ), वराह ५५.४५ ( राजा के समक्ष श्री हरि का कुब्ज रूप में आगमन, हरि आगमन से विशाल आम्र वृक्ष का कुब्ज रूप होना, उस स्थान की कुब्जाम्रक तीर्थ रूप से प्रसिद्धि का कथन ), १२६.५ (कुब्जाम्रक तीर्थ की उत्पत्ति तथा माहात्म्य का कथन ), वामन ९०.३ ( कुब्जाम्र तीर्थ में विष्णु का कृष्णमूर्द्धा नाम ), लक्ष्मीनारायण १.५७०.९२( कुब्जाम्रक तीर्थ में सोमशर्मा ब्राह्मण द्वारा निषादी रूप में जन्म लेकर माया दर्शन का वृत्तान्त ), १.५७१.१५ ( विशाल आम्र वृक्ष के कुब्ज भाव को प्राप्त होने तथा कुब्ज रूप धारी श्री हरि के आगमन से गङ्गातीर की कुब्जाम्रक तीर्थ के रूप में प्रसिद्धि, कुब्जाम्रक तीर्थ में श्री हरि के पुण्डरीकाक्ष नाम से निवास का कथन ) । kubjaamraka
कुब्जिका अग्नि १४३ (कुब्जिका शक्ति देवी सम्बन्धी न्यास एवं पूजन विधि का वर्णन ), १४४.१ ( कुब्जिका मन्त्र से कुब्जिका की पूजा का कथन ), १४७.१( गुह्य कुब्जिका मन्त्र का कथन ), ३१६.६ ( कुब्जिका विद्या का कथन ), गरुड १.२६.३ ( कुब्जिका सम्बन्धी न्यास का कथन ), पद्म ६.१२६.४२ ( कुब्जिका नामक विधवा ब्राह्मणी का माघ स्नान के प्रभाव से तिलोत्तमा अप्सरा बनने का कथन ) । kubjikaa
कुमार गरुड १.२०५.६६( कुमार के सत्य/सभ्य? अग्नि का रूप होने का उल्लेख ), पद्म १.१९.२२६ ( अनावृष्टि काल में ऋषियों द्वारा मृत कुमार को पकाने का कथन ), ३.२५.२३ ( कुमार कोटि तीर्थ का संक्षिप्त माहात्म्य ), ब्रह्म २.११ ( गौतमी तीर्थ की ही कुमार तथा कार्तिकेय नाम से प्रसिद्धि, नाम हेतु तथा माहात्म्य का कथन ), ब्रह्माण्ड १.१.५.५८( ५ प्राकृत व ३ वैकृत सर्गों से निर्मित ९वें कौमार सर्ग का कथन ), १.२.१४.१७ ( शाकद्वीपेश्वर हव्य के सात पुत्रों में से एक, कुमार के नाम पर कौमार वर्ष के नामकरण का उल्लेख ), १.२.१८.५५ ( आह्लादिनी धारा द्वारा कालोदरी, कुमारी आदि को प्लावित करते हुए पूर्वी समुद्र में विलीन होने का उल्लेख ), १.२.२३.८५ ( ग्रहों के रथ वर्णन में कुमार रथ के ऋजु व वक्र गति वाले असंगलोहित अश्वों से युक्त होने का उल्लेख ), २.३.१.५४ ( प्रजापतियों में कुमार का उल्लेख ), २.३.३.२५ ( अष्ट वसुओं में से एक अग्नि के पुत्र रूप में कुमार का उल्लेख ), २.३.१०.३५ ( कुमार के उत्पन्न होने पर आकाश में देवों, यक्षों, गन्धर्वों का एकत्र होना तथा उत्सव मनाना, कुमार के षण्मुख, स्कन्द तथा कार्तिकेय नामों के हेतु का कथन ), २.३.१२.३४ ( सुकुमारता प्राप्ति हेतु कुक्कुटों को पिण्डदान का निर्देश ), ३.४.३०.३९ ( शिव व पार्वती - पुत्र कुमार द्वारा तारक नामक असुर के वध का उल्लेख ), भविष्य ३.४.१९.५८(रूप तन्मात्रा के अधिपति रूप में कुमार का उल्लेख), भागवत ३.१०.२६( कौमार सर्ग के उभयात्मक/प्राकृत - वैकृत होने का उल्लेख ), ६.३.२१( भागवत धर्म को जानने वाले १२ जनों में से एक ), ११.१६.२५ ( विभूति योग के अन्तर्गत कृष्ण के ब्रह्मचारियों में कुमार / सनत्कुमार होने का उल्लेख ), मत्स्य ५.२६ ( अग्नि - पुत्र कुमार की शरस्तम्ब में उत्पत्ति तथा शाख, विशाख, नैगमेय का कुमार के अनुजों के रूप में उल्लेख ), १२२.२०( जलधार वर्ष के अपर नाम सुकुमार का उल्लेख ), १२२.२२( नारद वर्ष के अपर नाम कौमार का उल्लेख ), १६०.४ (कुमार व तारकासुर का भीषण युद्ध, कुमार द्वारा तारक के वध का वर्णन ), २०३.६ ( अनल / अग्नि - पुत्र, धर्म वंश ), २२५.१८ ( दण्ड प्रशंसा के अन्तर्गत दण्डभय से कुमार को सेनापतित्व प्रदान करने का उल्लेख ), २५२.३ ( वास्तुशास्त्र के १८ उपदेष्टाओं में से एक ), वराह २३.१४ ( देवों की प्रार्थना पर परमेष्ठी ब्रह्मा के हास्य से कुमार गणेश की उत्पत्ति का कथन ), वायु २२.१० ( श्वेतलोहित नामक २० वें कल्प में ब्रह्मा के ध्यान करने पर महेश्वर रूप श्वेत विग्रह कुमार की उत्पत्ति का कथन ), २२.२३ ( रक्त नामक ३० वें कल्प में ब्रह्मा के ध्यान करने पर महेश्वर रूप रक्त विग्रह कुमार की उत्पत्ति का कथन ), २६.८ ( सृष्टि के इच्छुक ब्रह्मा के चिन्ता करने पर दिव्यगन्ध, सुधापेक्षी कुमार के प्रादुर्भाव का उल्लेख ), २७.४ ( कल्प के आदि में ब्रह्मा द्वारा आत्मतुल्य पुत्र का ध्यान करने पर नीललोहित कुमार का प्राकट्य, कुमार का रुदन, रुदन का हेतु पूछने पर कुमार द्वारा नाम प्रदान की कामना, ब्रह्मा द्वारा कुमार को क्रमश: ८ बार रुदन करने पर रुद्र, भव, शिव,पशुपति, ईश, भीम, उग्र तथा महादेव नामों से अभिहित करने का कथन ), ३३.१६( प्रियव्रत - पुत्र तथा शाकद्वीप के शासक हव्य के सात पुत्रों में से एक कुमार के नाम पर कौमार वर्ष के नामकरण का उल्लेख ), ४७.५२( भुवन - विन्यास के अन्तर्गत आह्लादिनी धारा के केरलों , किरातों, कालोदरी तथा कुमारी आदि को प्लावित करते हुए समुद्र में विलीन होने का उल्लेख ), ६५.५३ ( एक प्रजापति के रूप में कुमार का उल्लेख ), ६६.२४ (आठ वसुगणों में से एक अग्नि के कुमार नामक पुत्र का शरस्तम्ब में जन्म, अपर नाम स्कन्द ), ६९.७१ ( कद्रू के शेष, वासुकि आदि प्रधान नाग पुत्रों में कुमार का उल्लेख ), ७२.३४ (जाह्नवी - सुत कुमार के उत्पन्न होने पर आकाशमण्डल में देवों, यक्षों, विद्याधरों, गन्धर्वों, किन्नरों आदि के एकत्र होने तथा उत्सव मनाने का उल्लेख ), विष्णु १.१५.११५ ( अष्ट वसुओं में से एक अग्नि के पुत्र रूप में कुमार का उल्लेख ), २.४.६० (शाकद्वीपेश्वर के सात पुत्रों में से एक ), विष्णुधर्मोत्तर ३.७१.३ (देवमूर्ति निर्माण प्रसंग में कुमार मूर्ति के रूप का निरूपण ), शिव २.४.३.३३ ( कृत्तिकाओं द्वारा स्तनपानादि से कुमार का पालन, कुमार की नाना लीलाओं से देवताओं को विस्मय प्राप्ति का उल्लेख ), २.४.१० ( कुमार द्वारा तारकासुर के वध का वर्णन ), २.४.११ ( कुमार द्वारा क्रौंच नामक पर्वत की प्रार्थना पर बाणासुर तथा शेष - पुत्र कुमुद नाग की प्रार्थना पर प्रलम्बासुर के वध का कथन ), ५.१९.३५ ( ब्रह्मलोक व वैकुण्ठ लोक से ऊपर कौमार लोक में शिव - सुत कुमार के विराजमान होने का उल्लेख ), स्कन्द १.१.२७ (कुमार की उत्पत्ति का प्रसंग ), १.१.२८ ( कुमार के सेनापतित्व में देवसेना तथा तारक के साथ असुरसैन्य के युद्ध हेतु प्रयाण का वर्णन ), १.१.२९.६० ( विष्णु तथा नारद द्वारा शिव - सुत कुमार को तारक वध हेतु प्रेरित करना ), १.१.३० ( तारक और कुमार का द्वन्द्व युद्ध, कुमार द्वारा तारक का वध तथा कुमार विजयोत्सव का वर्णन ), १.१.३१ ( कुमार - प्रोक्त शिवलिङ्ग माहात्म्य का वर्णन ), १.२.२९ ( कुमार जन्म का प्रसंग ), १.२.३० ( देवों द्वारा कुमार का अभिषेक व भेंट प्रदान करने का वर्णन ), १.२.३१ ( सैन्य सहित कुमार के तारकासुर नगर के प्रति गमन का वर्णन ), १.२.३२ ( तारक वध तथा बाणसहित क्रौञ्च पर्वत को भस्म करने का वृत्तान्त ), १.२.३३ (कुमार द्वारा स्थापित प्रतिज्ञेश्वर, कपालेश्वर तथा शक्तिछिद्रेश्वर लिङ्गों का संक्षिप्त माहात्म्य ), १.२.३४ (कुमार द्वारा स्थापित कुमारेश्वर लिङ्ग के माहात्म्य का वर्णन ), २.१.१.६४ ( कुमार धारा तीर्थ का संक्षिप्त माहात्म्य ), ५.३२२.२९ ( नर्मदा - पुत्र कुमार अग्नि के असुरों के शस्त्र से शल्य युक्त होने पर कपिला नदी में स्नान से शल्य रहित होने का कथन ), ५.३.६३ ( कुमारेश्वर तीर्थ का संक्षिप्त माहात्म्य ), ७.१.७३ ( कुमारेश्वर लिङ्ग का संक्षिप्त माहात्म्य ), ७.१.२१५ ( कुमारेश्वर लिङ्ग का संक्षिप्त माहात्म्य : परदारा अपहरण तथा पितृवध के पाप से मुक्ति ), लक्ष्मीनारायण १.७३.१२( शिखा वपन के पश्चात् बालक की कुमार संज्ञा का उल्लेख ), ३.१११.२२ ( कुमार दान से भूम लोक की प्राप्ति का उल्लेख ), ३.१२२.५६( केतुमाल में कुमार दान से पति प्राप्ति फल का उल्लेख ),कथासरित् ३.६.८७ ( षण्मुख कुमार की उत्पत्ति का प्रसंग, इन्द्र द्वारा कुमार का सेनापति पद पर अभिषेक ) । kumaara/kumar
कुमारकोशल वायु ७७.३७ ( पालपञ्जर पर्वत पर स्थित कुमारकोशल तीर्थ की श्राद्ध हेतु प्रशस्तता का उल्लेख ) ।
कुमारधारा वामन ९०.१६ ( कुमारधार तीर्थ में विष्णु का वाह्लीश नाम से वास ), कथासरित् ९.५.१५३ ( स्वामी कार्तिकेय की आराधना में विघ्न हेतु आराधनकर्त्ता के सिर पर कुमारधारा के पतन का कथन ) ।
कुमारपाल स्कन्द ३.२.३६.५३ ( राजा कुमारपाल - शासित धर्मारण्य सत्र में वैष्णव धर्म का परित्याग तथा बौद्ध धर्म के प्रसार का वृत्तान्त ) ।
कुमार्या स्कन्द ७.१.१७२.८ ( राजा भरत द्वारा स्वपुत्री कुमार्या के नाम से कुमार्या द्वीप के नामकरण का उल्लेख ) ।
कुमारवंश विष्णु ४.१२.४२ ( मधु -पुत्र, अनु- पिता, ज्यामघ वंश ) ।
कुमारवत् लक्ष्मीनारायण ३.१७०.१७ ( कृष्ण के २७ वें धाम का नाम ) ।
कुमारवन मत्स्य २४.१९ ( काम द्वारा पुरूरवा को गन्धमादन पर्वत पर स्थित कुमारवन में उर्वशी - जन्य वियोग से उन्माद होने रूप शाप प्रदान का उल्लेख ) ।
कुमारसचिव कथासरित् १.४.३० ( उपकोशा द्वारा काम पीडित कुमारसचिव की दुर्गति की कथा ) ।
कुमारा विष्णु २.३.१४ ( शुक्तिमान् पर्वत से नि:सृत एक नदी ) ।
कुमारिका पद्म ३.२४.३१ (कुमारिका तीर्थ में स्नान से इन्द्रलोक की प्राप्ति का उल्लेख ), स्कन्द १.२.३९.६८ ( भरत - पौत्री तथा शतशृङ्ग - पुत्री कुमारिका को बर्करी मुख की प्राप्ति, बर्करीमुखत्व का कारण तथा महीसागर संगम के प्रभाव से बर्करीमुखत्व से मुक्ति का वृत्तान्त ) ।
कुमारिल वामन ९०.७ ( वितस्ता में विष्णु का कुमारिल नाम से वास )
कुमारी ब्रह्माण्ड १.२.१६.३८ ( शुक्तिमान् पर्वत से नि:सृत एक नदी ), १.२.१९.९६ ( शाकद्वीप की एक नदी ), २.३.१३.२८ ( श्राद्धादि हेतु कुमारी तीर्थ की प्रशस्तता का उल्लेख ), ३.४.२६.७४ ( नववर्षीया ललिता - पुत्री कुमारी द्वारा भण्डासुर - पुत्रों के वध का वृत्तान्त ), भागवत ११.७.३४,३५ ( दत्तात्रेय के चौबीस गुरुओं में कुमारी कन्या का उल्लेख ), ११.९.५ ( धान कूटती कुमारी कन्या के कङ्कण से दत्तात्रेय के शिक्षा ग्रहण करने का वर्णन ), मत्स्य १३.३४ ( मायापुरी में सती देवी के कुमारी नाम से पूजित होने का उल्लेख ), १६३.८६ ( हिरण्यकशिपु द्वारा प्रकम्पित नदियों में कुमारी का उल्लेख ), वराह ९२.३ ( तप करती हुई वैष्णवी देवी के क्षुभित मन से कुमारियों की उत्पत्ति का कथन ), वायु ४९.९२ ( शाकद्वीप की सात महागङ्गाओं में से एक, अपर नाम सिद्धा ), शिव ५.१८.५५ ( शाकद्वीप की सात प्रमुख नदियों में कुमारी का उल्लेख ), स्कन्द ५.३.१९८.७१ ( मायापुरी में उमा की कुमारी नाम से स्थिति का उल्लेख ), ७.१.२४२ ( कुमारी माहात्म्य का वर्णन : देवों के स्वेद से उत्पन्न कुमारी देवी द्वारा रुरु असुर का वध ), लक्ष्मीनारायण २.४७.२२ ( कुमारी शब्द की निरुक्ति ), कथासरित् ९.१.१२३ (कुमारीदत्त :राजा पृथ्वीरूप द्वारा अपने कुशल चित्रकार कुमारीदत्त को स्वचित्र बनाने का आदेश ) । kumaaree/kumari |