पुराण विषय अनुक्रमणिका PURAANIC SUBJECT INDEX (Kaamanaa - Kumaari) RADHA GUPTA, SUMAN AGARWAL & VIPIN KUMAR
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Puraanic contexts of words like Kumkuma, Kuja/mars, Kujambha, Kunjara/elephant, Kutilaa etc. are given here. कुखण्डिका ब्रह्माण्ड २.३.७३ (कूष्माण्ड कुलोत्पन्न १६ पिशाच दम्पत्तियों में कुखण्ड व कुखण्डिका दम्पत्ति का उल्लेख ), वायु ६९.२६४ ( वही) ।
कुङ्कुम गरुड २.३०.५५/२.४०.५५( मृतक की मूर्द्धा में कुङ्कुम लेप देने का उल्लेख ), पद्म १.२४.४६ ( अङ्गारक चतुर्थी व्रत विधि में कुङ्कुम से अष्टदल कमल के निर्माण / लेखन का उल्लेख ), ५.१०.४३ ( राम के अश्वमेध यज्ञ के अश्व के चंदन चर्चित तथा कुङ्कुमादि की गन्ध से सुशोभित भाल पर स्वर्णपत्र बांधने का उल्लेख ), ६.१२३.१७ ( मासोपवास व्रत विधि वर्णन में जनार्दन भगवान् के कुङ्कुम, उशीर, कर्पूर तथा चन्दन से लेपन का उल्लेख ), भागवत ११.२७.३० ( क्रियायोग के वर्णन में कुङ्कुम आदि से सुवासित जल से भगवान् को स्नान कराने का कथन ), स्कन्द ५.३.२६.१४८ ( पौष शुक्ल तृतीया को कुङ्कुम दान का उल्लेख ), लक्ष्मीनारायण १.५६.२६ ( तपश्चर्या से प्रसन्न होकर लक्ष्मीनारायण द्वारा खट्वाङ्गद नृप को प्रत्यक्ष दर्शन देने तथा नृप के मस्तक पर कुङ्कुम से तिलक करने का उल्लेख ), २.२७१.८ ( कुङ्कुम ब्राह्मण द्वारा शिवपूजा से शिव के दर्शन, शिव प्रदत्त मन्त्र का जप करते हुए कुङ्कुमेश्वर तीर्थ की स्थापना तथा कुङ्कुम ब्राह्मण द्वारा मोक्ष प्राप्ति का वृत्तान्त ), २.२७१.२१( कुङ्कुमेश्वर : कुंकुम ब्राह्मण द्वारा कुङ्कुमेश्वर महादेव की स्थापना करके कुङ्कुमेश्वर तीर्थ का निर्माण करने का कथन ) । kumkuma
कुङ्कुमवापी लक्ष्मीनारायण १.५६.२९ ( लक्ष्मी द्वारा खट्वाङ्गद राजा को कुङ्कुम से तिलक करते समय कुङ्कुम की बूंदें सरोवर में गिरने से सरोवर की कुङ्कुमवापी नाम से प्रसिद्धि का कथन ), १.५२०.३९ ( कच्छप द्वारा कम्भराकृष्ण के मन्दिर से युक्त कुङ्कुमवापी तीर्थ में वास का उल्लेख ), १.५३४ ( शंकर द्वारा पार्वती के प्रति सौराष्ट्र स्थित कुङ्कुमवापी तीर्थ क्षेत्र की महिमा का वर्णन ), १.५३५ ( शंकर से श्रीकृष्ण के निवासस्थल कुङ्कुमवापी तीर्थ की महिमा का श्रवण कर पार्वती की तीर्थ दर्शन की अभिलाषा, समस्त गणों सहित शिव पार्वती का कुङ्कुमवापी क्षेत्र में गमन तथा श्रीकृष्ण के दर्शन का वर्णन ), २.७९.५५, २.७९.८८ ( सुरतायन आदि विप्रों द्वारा श्री हरि से कुङ्कुमवापी क्षेत्र के दर्शन की प्रार्थना, श्री हरि द्वारा तीर्थ क्षेत्र के दर्शन कराने का उल्लेख ), ३.१४१ ( कुङ्कुमवापी तीर्थ क्षेत्र के माहात्म्य का कथन ), ४.३२.५५ ( फणा ग्रामस्थ चन्द्रस्तम्बादि द्वारा कुङ्कुमवापी तीर्थ क्षेत्र की यात्रा तथा मोक्ष प्राप्ति का वर्णन ) । kumkumavaapi
कुच भागवत ५.२.११ ( आग्नीध्र के कुचों की शृङ्गों से उपमा ), वायु ४४.११ ( केतुमाल का एक जनपद ) ।
कुचेल विष्णु ४.१९.८१ ( कृत -पुत्र वसु के सात पुत्रों में से एक, मगधराज ),लक्ष्मीनारायण २.५.३४ ( कुचेलक प्रभृति दैत्यों द्वारा बाल प्रभु को मारने का उद्योग ) ।
कुचैल भागवत १०.८०.७ ( जीर्णशीर्ण वस्त्रधारी कुचैल सुदामा नामक ब्राह्मण का पत्नी की प्रेरणा से कृष्ण के पास गमन तथा कृष्ण की कुचैल सुदामा पर कृपा का वृत्तान्त ) ।
कुज भविष्य २.२.८.१२८( कुज तीर्थ? में महाभाद्री पूर्णिमा के विशेष फल का उल्लेख ), भागवत २.७.३४ (कृष्ण की विविध लीलाओं के अन्तर्गत कुज / भौमासुर के मरणोपरान्त कृष्ण धाम गमन का उल्लेख ), वामन ७०.४२,४८ ( शिव के स्वेद कणों से उत्पन्न कुज नामक बालक को शिव द्वारा ग्रहों का स्वामी होने के वर प्रदान का उल्लेख ), स्कन्द १.२.१३.१६६ ( शतरुद्रिय प्रसंग में कुज द्वारा करालक नाम जप के साथ नवनीत लिङ्ग की पूजा का उल्लेख ) । kuja
कुजनी नारद १.६६.११६( शिखीश की शक्ति कुजनी का उल्लेख ) ।
कुजम्भ मत्स्य १४७.२८( कुजम्भ तथा महिष प्रभृति असुरों द्वारा तारक को सम्राट् पद पर अभिषिक्त करने का उल्लेख ), १४८.४२ ( तारक के दस सेनानायकों में से एक ), १४८.५० ( कुजम्भ के रथ के पिशाच सदृश मुख वाले गधों से युक्त होने का उल्लेख ), १५०.१०९ ( तारक - सेनानी कुजम्भ के राक्षसेश्वर निर्ऋति से युद्ध का उल्लेख ), २४५.१२ ( प्रह्लाद द्वारा भगवान के भीतर कुजम्भ प्रभृति समस्त असुरगणों तथा सातों लोकों के दर्शन का उल्लेख ), मार्कण्डेय ११६.१६ ( कुजृम्भ : कुजृम्भ दानव के वत्सप्री द्वारा वध का वृत्तान्त ), वामन ९.२८ ( युद्ध हेतु कुजम्भ दानव के अश्वारूढ होने का उल्लेख ), ६९.५२ ( अन्धक - सेनानी कुजम्भ का विष्णु से युद्ध ), ६९.१५७ ( विष्णु चक्र द्वारा कुजम्भ के वध का उल्लेख ), स्कन्द १.२.१६.१८ ( सैन्य सज्जा प्रसंग में तारक - सेनानी कुजम्भ के खर युक्त ध्वज व वाहन का उल्लेख ), १.२.१८.११ ( कुजम्भ का कुबेर से युद्ध, कुबेर की पराजय का वर्णन ), ५.२.६३.७ ( कुजम्भ दैत्य द्वारा विदूरथ - पुत्री मुदावती का हरण, मार्कण्डेय मुनि के कथनानुसार विदूरथ द्वारा महाकालवन में स्थित लिङ्ग की आराधना, लिङ्ग आराधना से धनुष की प्राप्ति, कुजम्भ का वध, धनुष प्राप्ति होने से लिङ्ग की धनुसाहस्र नाम से प्रसिद्धि का वृत्तान्त ), हरिवंश ३.५१.१३ ( युद्ध हेतु प्रस्थित विरोचन - अनुज कुजम्भ के ऐश्वर्य का वर्णन ), ३.५३.१४ ( हिरण्यकशिपु- पौत्र, देव – दानवों के द्वन्द्व युद्ध में कुजम्भ का अंश से युद्ध ) ; द्र. जम्भ । kujambha
कुजिलाश्व ब्रह्माण्ड ३.४.२१.८५ ( भण्ड दानव के सेनापति पुत्रों में से एक ) ।
कुजृम्भ मार्कण्डेय ११६.१६/११३.१६( कुजृम्भ की निरुक्ति : पृथिवी का जृम्भण करने वाले ) ।
कुञ्चि ब्रह्माण्ड २.३.५.४३ ( बलि के सौ पुत्रों में से एक ) ।
कुञ्ज गर्ग
५.१७.९ ( कृष्ण विरह पर कुञ्ज विधायिका गोपियों के उद्गारों का कथन ),
५.१७.१० (
कृष्ण विरह पर निकुञ्जवासिनी गोपियों के उद्गारों का कथन ),
पद्म ३.२६.१०३
( श्री कुञ्ज तीर्थ का संक्षिप्त माहात्म्य : तीर्थ में स्नान से अग्निष्टोम फल की
प्राप्ति का उल्लेख ),
मत्स्य १९४.९
( कुञ्ज तीर्थ में स्नान से पापों के नाश तथा कामना पूर्ण होने का कथन ) ।
kunja
कुञ्जर गणेश २.१४.१८ ( महोत्कट गणेश द्वारा मदोन्मत्त कुञ्जर
का वध ),
नारद १.५०.६२
( कुञ्जर द्वारा निषाद स्वर के वादन का उल्लेख ),
पद्म
५.२५.१७ ( मदोन्मत्त कुञ्जर आदि से सुशोभित सेना के साथ राजा सुबाहु के युद्ध हेतु
निर्गमन का उल्लेख ),
ब्रह्माण्ड
२.३.७.२२३ (अञ्जना - पिता,
हनुमान - मातामह ),
२.३.७.२३३ ( वानरराज वालि की सेना का एक वानर ),
२.३.७.३५० (
कुञ्जों में विचरण करने के कारण हाथी द्वारा कुञ्जर नाम धारण करने का उल्लेख ),
३.४.४४.५६ (
कुञ्जरी : विविध स्वरशक्तियों में से एक स्वरशक्ति ),
भविष्य
४.९४.५३ ( कौण्डिन्य द्वारा कुञ्जर
से अनन्त देव के दर्शन के विषय में प्रश्न करने पर कुञ्जर द्वारा अनन्त देव के
अदर्शन का उल्लेख ),
४.९४.६४ (
कुञ्जर के धर्मदूषक होने का उल्लेख ),
मत्स्य
१४८.४२ (दैत्यराज तारक के दस सेनानायकों में से एक ),
१६३.७९ (
अगस्त्य ऋषि के आश्रम से युक्त कुञ्जर पर्वत को हिरण्यकशिपु द्वारा कम्पित करने का
उल्लेख ),
वराह ८१.३
(कुञ्जर पर्वत पर पशुपति की व्यवस्थिति का उल्लेख ),
विष्णुधर्मोत्तर २.१२०.११ ( परधन अपहरण के फलस्वरूप पापियों को कुञ्जर प्रभृति
योनियों की प्राप्ति का उल्लेख ),
२.१२०.१३ ( चन्द्र व सूर्य ग्रहण काल में भोजन करने से
मनुष्यों को कुञ्जर योनि प्राप्ति का उल्लेख ),
हरिवंश
३.३५.१९ ( यज्ञ वाराह द्वारा
निर्मित कुञ्जर पर्वत के स्वरूप का कथन ),
वा.रामायण
४.६६.१० ( हनुमान की माता अञ्जना के वानरराज कुञ्जर की पुत्री होने का उल्लेख ),
कथासरित् ८.५.१० ( कुञ्जरकुमार : सूर्यप्रभ के १५ महारथियों
में से एक ),
८.५.२७ ( कुञ्जरकुमार के आरोहण के साथ द्वन्द्व युद्ध का
उल्लेख ),
१८.२.२७६ ( विक्रमादित्य द्वारा जयवर्धन को अञ्जरगिरि नामक
कुञ्जर / हाथी प्रदान करने का उल्लेख ),
१८.४.८९ ( विक्रमादित्य द्वारा वन्य
कुञ्जर / हाथी का वध करने तथा वेताल द्वारा उसका पेट चीरने पर उससे दिव्य पुरुष के
निकलने,
दिव्य पुरुष द्वारा स्वयं के देवकुमार होने तथा कण्व ऋषि के
शाप वश कुञ्जर बनने का कथन ) ।
kunjara
कुञ्जल पद्म
२.८५.३०+( कुञ्जल नामक शुक का पत्नी तथा पुत्रों के साथ वट वृक्ष पर सुखपूर्वक
निवास,
कुञ्जल के पूछने पर ज्येष्ठ पुत्र उज्ज्वल द्वारा दिवोदास -
कन्या दिव्या देवी के अद्भुत वृत्तान्त का निवेदन,
दुःख से
मुक्ति हेतु कुञ्जल द्वारा व्रत,
स्तोत्र,
ज्ञान,
ध्यान रूप उपाय का कथन ),
२.१२२,
२.१२३ ( च्यवन ऋषि के पूछने पर कुञ्जल शुक द्वारा अपने पूर्व जन्म
के वृत्तान्त का वर्णन,
मृत्यु समय में शुक पक्षी के मोह से पीडित होने के कारण
पक्षी योनि प्राप्ति का कथन ),
लक्ष्मीनारायण ३.५०.१८ ( कुञ्जल नामक शुक द्वारा स्वपुत्र
उज्ज्वल से अपूर्व वृत्तान्त के विषय में प्रश्न करने पर उज्ज्वल द्वारा दिवोदास -
कन्या दिव्या देवी के वृत्तान्त का कथन,
कुञ्जल द्वारा दिव्या देवी के दुःख का हेतु तथा दुःख से
मुक्ति के उपाय का कथन ) ।
kunjala कुटक भागवत ५.६.७ ( ऋषभदेव के कुटक आदि देशों में गमन का उल्लेख, कुटक देश के राजा अर्हत् द्वारा पाखण्ड मत के प्रचार का वर्णन ), ५.६.९ ( कुटक आदि देशों के मन्दमति राजा अर्हत् द्वारा पाखण्डपूर्ण कुमार्ग का प्रचार करने का उल्लेख ) ।
कुटज नारद १.६७.६१( कुटज को शिव को अर्पण का निषेध ), मत्स्य ९६.७ ( सर्वफलत्याग व्रत विधान में रजत - निर्मित १६ फलों में से एक ), योगवासिष्ठ ४.३३.३० ( कुटजमञ्जरी : हृदय में अहंकार रूपी मेघ के विजृम्भण पर तृष्णा रूपी कुटजमञ्जरी के विकसित होने का उल्लेख ) । kutaja
कुटभी मत्स्य १७९.१६ ( अन्धक के रक्त पानार्थ महादेव - सृष्ट मातृकाओं में से एक ) ।
कुट्टिनीकपट कथासरित् १८.२.१८८ ( कुट्टिनीकपट नामक कितव द्वारा चतुराई से स्थायी इन्द्र पद प्राप्त करने का वृत्तान्त ) ।
कुटिला वामन ५१.३ ( हिमालय व मेना की तीन कन्याओं में से एक ), ५१.६ ( तपस्या निरत कुटिला को आदित्य व वसुगणों द्वारा ब्रह्मलोक में ले जाना, कुटिला द्वारा शिव के तेज को धारण करने का सामर्थ्य व्यक्त करने पर कुपित ब्रह्मा द्वारा जलमयी होने के शाप का वृत्तान्त ), ५७.७ ( शिव के शुक्र को धारण करने में असमर्थ होने पर अग्नि द्वारा महानदी कुटिला के जल में शुक्र का परित्याग, पश्चात् ब्रह्मा की सम्मति से कुटिला द्वारा सरपत वन में शिव शुक्र के परित्याग का कथन, उत्पन्न बालक की कुटिला - पुत्र शाख / कुमार नाम से ख्याति ), ५७.८४ ( कुटिला द्वारा स्वपुत्र स्कन्द को १० गण प्रदान करने का उल्लेख ), ५७.१०३( कुटिला द्वारा स्वपुत्र कार्तिकेय को कमण्डलु देने का उल्लेख ), लक्ष्मीनारायण १.१७९.६६,७५ ( हिमालय व मेना की तीन पुत्रियों में मध्यमा पुत्री कुटिला का ब्रह्मलोक में ब्रह्मनदी रूप से वास ) । kutilaa
कुटिलाक्ष ब्रह्माण्ड ३.४.२१.९५ ( भण्डासुर द्वारा ललिता से युद्ध हेतु सेनापति कुटिलाक्ष के प्रेषण का उल्लेख ), ३.४.२२.२८ ( कुटिलाक्ष द्वारा भण्डासुर की आज्ञा के पालन का कथन ), ३.४.२७.१० ( पुत्र वध पर कुटिलाक्ष प्रभृति मन्त्रियों द्वारा भण्डासुर को आश्वासन देने का उल्लेख ), ३.४.२९.८ ( भ्रातृवध पर कुटिलाक्ष द्वारा भण्डासुर को आश्वासन, क्रुद्ध भण्ड द्वारा कुटिलाक्ष को सैन्य सज्जा के आदेश का कथन ), लक्ष्मीनारायण ३.११६.७० ( ललिता - सैन्य विनाशार्थ भण्ड द्वारा कुटिलाक्ष सेनापति को युद्ध हेतु प्रेरित करने का उल्लेख ) । kutilaaksha |