पुराण विषय अनुक्रमणिका PURAANIC SUBJECT INDEX (From Gangaa - Goritambharaa) Radha Gupta, Suman Agarwal & Vipin Kumar
|
|
Puraanic contexts of words like Ganapati, Ganesha etc. are given here. Relation between Ganesha and Lakshmi गणक गणेश २.१८.१० ( गणेश द्वारा हेम गणक रूपधारी दैत्य का मुद्रिका क्षेपण से वध ), वराह १२८.७८ ( गणान्तिका / गणनात्मिका / माला की शुद्धि हेतु पालनीय नियमों का कथन ) ।
गणकाक्ष शिव २.५.३६.१२ ( शङ्खचूड - सेनानी, मङ्गल से युद्ध का उल्लेख ) ।
गणतन्त्र महाभारत शान्ति १०७
गणनाथ नारद १.६६.१२६( गणनाथ की शक्ति स्वाहा का उल्लेख ), ब्रह्माण्ड ३.४.४४.६७ ( ५१ वर्णों के गणेश नामों में से एक ), स्कन्द ६.२१४ ( पार्वती मल से गणनाथ की उत्पत्ति, माहात्म्य, विश्वामित्र द्वारा गणनाथ पूजा से ब्राह्मणत्व की प्राप्ति का वर्णन ), ७.१.३२४ ( गणनाथ का संक्षिप्त माहात्म्य ) ।
गणनायक नारद १.६६.१२८( गणनायक की शक्ति सुरेशा का उल्लेख ), ब्रह्माण्ड ३.४.४४.६५ ( ५१ वर्णों के गणेश नामों में से एक ) ।
गणपति अग्नि ७१ ( गणपति पूजा विधि ), ३०१.३ ( गणपति हेतु बीज मन्त्र तथा पूजा विधि ), ३१३.१ ( गणपति पूजा विधि व मन्त्र का कथन ), ३१८.८ ( गणेश के विघ्नमर्द नामक मण्डल की रचना व पूजा विधि, गणेश नामों के दिक् - विन्यास का कथन ), गरुड १.१२९.१० ( गणपति चतुर्थी व्रत का निरूपण ), देवीभागवत ९.१.१०१( पुष्टि - पति), नारद १.५१.५८ ( रुद्र और ब्रह्मा द्वारा विघ्नेश विनायक का गणपति पद पर विनियोजन, विघ्नेश विनायक से आविष्ट पुरुष के स्वप्न लक्षणों का कथन ), १.५१.६३ ( गणपति शान्ति हेतु पूजा विधि ), १.६६.१२४ ( गणपति नामों के साथ गाणपत्य मातृका न्यास ), पद्म १.६३ ( गणपति की अग्रपूजा हेतु का कथन : मोदक प्राप्ति हेतु गणेश व स्कन्द में स्पर्धा, गणेश द्वारा मोदक प्राप्ति से अग्रपूज्यता, गणपति स्तोत्र का कथन ), ६.१६७.३ ( गाणपत्य तीर्थ में स्नान, दान व श्राद्ध का संक्षिप्त माहात्म्य ), ब्रह्माण्ड १.२.२७.१२३( त्रिकाल भस्म स्नान से गाणपत्य लोक प्राप्ति का उल्लेख ), ३.४.२७.८३( युद्ध में महागणपति के आगे चलने वाले ६ विनायकों के नाम ), भविष्य १.२९( गणपति कल्प का वर्णन ), १.५७.१८( गणपति गणाधिप हेतु दारु बलि का उल्लेख ), वराह २३( रुद्र हास्य से गणपति की उत्पत्ति, आकाश का रूप?, गजमुख होने के शाप का वर्णन ), वायु १०१.३५४( भवभक्त, जितेन्द्रिय तथा अमद्यपी शूद्र को गाणपत्य स्थान की प्राप्ति का उल्लेख ), स्कन्द १.२.६१.५५( महाविद्या साधनार्थ विजय ब्राह्मण द्वारा गणपति मन्त्र/गणेश्वर विधान का वर्णन ), ६.१३१.५१( वररुचि द्वारा विद्या प्राप्ति हेतु स्थापित गणपति का महात्म्य ), ६.१४२( गणपतित्रय के माहात्म्य का वर्णन : मोक्ष, स्वर्ग व मृत्यु लोक प्रापक, पार्वती मल से उत्पत्ति, देवों द्वारा अभिषेक, ईशान, सत्य हेरम्ब, मर्त्य हेरम्ब नाम ), ७.१.७२ ( जलवास गणपति के माहात्म्य का वर्णन, कार्यसिद्धि हेतु वरुण द्वारा पूजित ), ७.१.२३० (गणपति माहात्म्य का वर्णन ), ७.१.३४९ ( दुर्ग कूट गणपति के माहात्म्य का वर्णन, भीम द्वारा पूजित ), लक्ष्मीनारायण १.५३३.३९( गणपति के देह में आकाश/सुषिर रूप में विद्यमान होने का उल्लेख ) । ganapati
गणिका ब्रह्म २.१८.३२ ( यम के तप में विघ्न हेतु शक्र द्वारा गणिका अप्सरा का प्रेषण, यम की दृष्टि मात्र से गणिका का नदी बनना, गौतमी गङ्गा के प्रभाव से नदी रूप गणिका का स्वर्ग गमन ), लक्ष्मीनारायण २.७७.५३( ताम्र पुत्तलिका दान से गणिका सङ्गज दोष से निवृत्ति का उल्लेख ), २.१२४.८२( गणिका के लिए यज्ञ में वाब्षा~ व्याहृति का प्रयोग), ३.४५.२३ ( गणिकाओं द्वारा गण लोक प्राप्ति का उल्लेख ), ३.८२.३४(काशी में ऋषि के समागम से गणिकाओं की पापनाशपूर्वक मुक्ति प्राप्ति की कथा ), कथासरित् १०.५१.७० ( नाग - गरुड कथा के अन्तर्गत नाग का गरुड से रक्षा हेतु मनुष्य वेश में गणिका के गृह में वास, गरुड द्वारा भी मनुष्य वेश में आकर नाग का भक्षण ), १८.५.१७६ ( विप्र - सुता द्वारा सुमङ्गला नामक गणिका के रूप में छद्मवेश धारण, प्रतिज्ञानुसार स्व - पुत्र के माध्यम से पति को प्राप्त करने की कथा ) । ganikaa
गणित नारद १.५४.२ ( ज्योतिष नामक वेदाङ्ग के तीन स्कन्धों में से एक ), १.५४.१२ ( ज्योतिष के गणित स्कन्ध का वर्णन ) ।
गणेश अग्नि ७१( द्र. गणपति ), ९१.१५( गणेश के बीज मन्त्र क्षो गं का उल्लेख ), ३०१ ( द्र. गणपति ), गणेश १.८.२१ ( गणेश के कान्त प्रासाद के निर्माण से चोर का सोमकान्त नृप बनना ), १.९.३, १९ ( भृगु द्वारा सोमकान्त के कुष्ठ नाश हेतु गणेश पुराण सुनाना ),१.१३.३ ( प्रलय के पश्चात् गणेश के दर्शन पर देवों द्वारा गणेश की स्तुति ; स्तोत्र वर्णन ), १.२१.४० ( द्विपास्य / गणेश का मुद्गल से तादात्म्य ), १.३८.४१ ( त्रिपुर द्वारा तप के स्थान की गणेशपुर के नाम से ख्याति ), १.४१.६ ( गणेश द्वारा कलाधर विप्र का रूप धारण कर त्रिपुर के पास जाना ), १.४९.१ ( गणेश उपासना विधि का वर्णन ), १.५०.९ ( गणेश की १,२,३,४,५,६ आदि मूर्तियों की पूजा का फल ), १.५६.३१,१.५७.१ ( भ्रूशुण्डि मुनि द्वारा गणेश स्वरूपता प्राप्त करने का कारण ), १.६१.६ ( चन्द्रमा के हंसने पर गणेश द्वारा अदर्शनीयता का शाप ), १.६४.८ ( बाल गणेश द्वारा कालानल दैत्य का भक्षण कर लेने पर शीतलता हेतु देवों द्वारा भालचन्द्र, सिद्धि, बुद्धि आदि आदि प्रदान करना ), १.६५.५ ( नारद द्वारा जनक के दानाभिमान का गणेश से कथन, गणेश द्वारा जनक की परीक्षा, जनक के अन्न का भक्षण करके भी गणेश की तृप्ति न होना ), १.६६.११ ( द्विज द्वारा श्रद्धापूर्वक दिए गए एक दूर्वाङ्कुर से ही गणेश की तृप्ति ), १.६८.३ ( पुत्रेच्छा वाले राजा कृतवीर्य को गणेश द्वारा स्वप्न में पितर रूप में दर्शन व संकष्ट चतुर्थी व्रत का निर्देश आदि ), १.६९.८ ( गणेश पूजा विधि का वर्णन ), १.८२.१८ ( परशुराम द्वारा गणेश के षडक्षर मन्त्र का जप, गणेश द्वारा परशु प्रदान करना ), १.९२.१३ ( विभिन्न प्राणियों द्वारा विभिन्न नामों से गणेश की आराधना का वर्णन ), २.१.१८ ( चार युगों में गणेश के सिंह आदि वाहनों का कथन ), २.५०.५० ( स्वानन्द भवन में विनायक के शयन वैभव का वर्णन ), २.५२.५२ ( काशीराज द्वारा गणेश के लोक का दर्शन ), २.६०.३० ( महोत्कट गणेश द्वारा काशी में नरान्तक के वध का वृत्तान्त ), २.६७.१ ( गणेश द्वारा देवान्तक से युद्ध व वध का वर्णन ), २.६९.४२ ( देवान्तक वध के लिए गणेश द्वारा अर्धनर व अर्धगज रूप धारण ), २.७०.१ ( अर्धगज रूपी गणेश द्वारा दन्त से देवान्तक का वध ), २.७८.४१ ( गणेश के कृत आदि चार युगों में स्वरूपों का कथन ), २.७९.३२ ( तीन गुणों के प्रदाता के रूप में गुणेश / गणेश शब्द की व्याख्या ), २.८१.३३ ( सिन्धु वध हेतु षड्भुज गणेश का पार्वती - पुत्र रूप में अवतार ), २.८५.१८ ( मरीचि द्वारा प्रदत्त गणेश कवच का वर्णन ), २.९५.२ ( विश्वकर्मा द्वारा गणेश को सूर्य तेज से निर्मित परशु आदि भेंट करना ), २.१०६.४१ ( गणेश द्वारा गणपति पद प्राप्ति का वृत्तान्त ), २.१२८.५४ ( मयूरेश्वर गणेश का द्विज रूप धारण कर शिव से युद्ध को उद्धत सिन्दूर असुर को परामर्श ), नारद १.६६.१३६( गणेश की शक्ति भगिनी का उल्लेख ), १.६७.१०० ( गणेश के पार्षद वक्रतुण्ड का उच्छिष्ट भोजी रूप में उल्लेख ), १.६८ ( गणेश पूजा मन्त्र विधान का निरूपण ), १.६८.३७ ( गणेश पूजा में विभिन्न द्रव्यों के अर्पण के फल का कथन ), १.७६.११५( गणेश के तर्पणप्रिय होने का उल्लेख ), १.११३ ( बारह मासों की चतुर्थी तिथियों में वासुदेव, संकर्षण आदि विभिन्न स्वरूपों से गणेश पूजा विधि तथा फल का कथन ), पद्म १.४३.४३३ ( पार्वती उद्वर्त्तन से उत्पत्ति, गणेशों के प्रकार व रूपों का कथन ), १.६३(स्कन्द से मोदक प्राप्ति की स्पर्धा, माता - पिता की प्रदक्षिणा, गणेश स्तोत्र का वर्णन ), १.७४ ( गणेश द्वारा त्रिपुर - सुत के वध का वर्णन ), ६.१०१.८ ( गणेश के जालन्धर - सेनानी शुम्भ से युद्ध का उल्लेख ), ब्रह्म १.३७.७७ ( गणेश के क्रोध से उत्पन्न स्वेद बिन्दुओं के भूमि पर पतन से महान् अग्नि तथा भयंकर पुरुष की उत्पत्ति, दक्ष यज्ञ विध्वंस का कथन ), २.५ ( माता पार्वती के सपत्नी गङ्गा से प्राप्त दुःख के निवारण हेतु गणेश द्वारा उपाय का चिन्तन, गौतम आश्रम में गमन तथा महर्षि गौतम को शिवजटा में स्थित गङ्गा के अवतारण हेतु प्रेरित करने के उद्योग का वर्णन ), २.४४ ( देवसत्र के पूर्ण न होने पर देवों द्वारा कृत गणेश - स्तुति से देवसत्र की निर्विघ्न समाप्ति का कथन ), ब्रह्मवैवर्त्त २.१.१ ( पांच प्रकृति देवियों में प्रथम गणेश - माता दुर्गा का उल्लेख ), २.१.१४ ( गणेश - माता दुर्गा के शिवप्रिया शिवरूपा होने का उल्लेख ), ३.८ ( भूमि पर पतित शिव वीर्य से गणेश की उत्पत्ति का प्रसंग ), ३.८.१ ( ब्राह्मण रूप धारी श्रीकृष्ण व शिव के वीर्य के मिलन से गणेश की उत्पत्ति का वर्णन ), ३.१२ ( शनि द्वारा दर्शन से गणेश के शिर का पतन, विष्णु द्वारा शिरोयोजन का वृत्तान्त ), ३.२० ( बालक गणेश के गजमुख योजन में हेतु का कथन ), ३.४३ ( परशुराम द्वारा गणेश के दन्तभङ्ग का वृत्तान्त ), ३.४४.८५ ( गणेश, एकदन्तादि आठ नामों की निरुक्ति, अर्थ, विष्णु प्रोक्त गणेश स्तोत्र ), ३.४६ ( गणेश पूजा के नैवेद्य में तुलसी निषेध के हेतु का कथन, गणेश - तुलसी संवाद ), ४.६.२६२( लम्बोदर के अतिरिक्त अन्य सभी देवों के अवतरण का उल्लेख ), ४.९९.५४ ( कृष्ण के उपनयन संस्कार पर वसुदेव द्वारा गणेश के अभिषेक तथा स्तुति का कथन ), ब्रह्माण्ड २.३.४१.५३, २.३.४२.२ ( गणेश द्वारा परशुराम को शिव मन्दिर में प्रवेश से रोकना, परशुराम का क्रोध, परशु प्रक्षेपण, गणेश द्वारा वाम दन्त से परशु का ग्रहण, दन्त पात का कथन ), ३.४.४४.७० ( ५१ वर्णों के गणेशों में से एक नाम ), भविष्य ३.४.१२.९० ( ब्रह्मा के रक्ताङ्ग से उत्पत्ति, गणों का ईश होने से गणेश नाम, शिव द्वारा गणेश स्तुति, गणेश के गजानन होने के हेतु का कथन ), ३.४.१९.५८(शब्द तन्मात्रा के अधिपति के रूप में गणेश का उल्लेख), ३.४.२०.१७ ( परा प्रकृति के देवों में से एक ), ३.४.२५.२२ ( अज/अव्यक्त के प्रधान उत्तर मुख से गणेश की उत्पत्ति का उल्लेख ), ४.३३.६ ( विनायक चतुर्थी व्रत - विधि के अन्तर्गत स्वर्ण निर्मित गणेश प्रतिमा विप्र को प्रदान करने का निर्देश ), लिङ्ग १.८१.३६( करवीर पुष्प पर गणाध्यक्ष की स्थिति का उल्लेख ), १.१०५ ( गणेश की विघ्नेश्वर रूप में उत्पत्ति का कथन ), वराह २३ ( रुद्र हास्य से उत्पन्न कुमार गणेश के मोहनीय रूप को देखकर रुद्र द्वारा गजमुख होने के शाप का कथन ), वामन ६८.३५ ( रुद्रगणों व दैत्यों के युद्ध में गणेश द्वारा प्रास से राहु नामक दैत्य पर प्रहार का उल्लेख ), वायु १११.५५ ( गयान्तर्गत गणेशपद तीर्थ में श्राद्ध से पितरों के रुद्रलोक गमन का उल्लेख ), विष्णुधर्मोत्तर १.२२५ ( त्रिपुर दाह के अन्त में शिव - कृत गणेश की स्तुति ), शिव २.४.१३+ ( शिवा के शरीर - मल से गणेश की उत्पत्ति, द्वारपाल रूप में नियुक्ति, शिवगणों से विवाद, युद्ध, शिव द्वारा गणेश के शिर का छेदन, पुन: गजमुख योजन, गणाधिप पदवी प्राप्ति, विवाह का वर्णन ), ४.२५.९ ( क्रुद्ध ऋषियों द्वारा गणेश का आवाहन, गौतम - विघ्नार्थ प्रार्थना का कथन ), स्कन्द ३.२.१२ ( पार्वती मल से गणेश की उत्पत्ति, महादेव द्वारा शिर छेदन, गजासुर दैत्य के शिर रोपण से गजानन नाम धारण, देवों द्वारा गणेश की स्तुति, विवाहादि में निर्विघ्नता हेतु गणेश के पूर्वाराधन का वर्णन ), ४.२.५६ ( दिवोदास को काशी के आधिपत्य से च्युत करने के लिए गणेश के ज्योतिषी रूप में काशी गमन का वर्णन ), ४.२.५७ ( शिव द्वारा गणेश स्तुति का वर्णन ), ५.१.२८.२१( गणेश / विघ्नेश के माहात्म्य का वर्णन ), ५.२.३७.८ ( गणेश द्वारा चिकित्सक / भिक्षु रूप धारण करके उज्जयिनी में गमन का वर्णन ), ५.२.३८.२२ ( वीरक के शरीरार्ध से गणेशत्व व अग्रभाग से लोकपालत्व प्राप्त करने का उल्लेख), ६.२५२.२१( चातुर्मास में अगुरु वृक्ष में गणनायक की स्थिति का उल्लेख ), लक्ष्मीनारायण १.८५.२८ ( शिव द्वारा पुत्र गणेश का काशी में प्रेषण, गणेश द्वारा स्वप्न शकुन उत्पातादि वर्णनपूर्वक प्रजा के काशी से निष्कासन का वर्णन ), १.९१.२५ ( समुद्र मन्थन के समय कालकूट विष के निर्गमन पर देवों का शिव की शरण में गमन, शिव द्वारा कार्य सिद्धि हेतु गणेश - पूजा का निर्देश, देवों द्वारा गणेश पूजन का वर्णन ), १.१०२ ( पार्वती के शरीर मल से गणेश की उत्पत्ति, पार्वती द्वारा स्नान काल में गणेश की गोपुर द्वार पर नियुक्ति का वर्णन ), १.१०३.१२ ( गणेश व शङ्कर का युद्ध, गणेश मस्तक का छेदन, तज्जन्य शोक का वर्णन ), १.१०४ ( आकाशवाणी के अनुसार गणेश की साक्षात् कृष्णरूपता, श्रीहरि द्वारा गज का मस्तक छेदन, गज के मस्तक पर अन्य मस्तक का योजन, गजमस्तक के गणेश के कबन्ध पर समायोजन का वृत्तान्त ), १.१०५ ( गणेश की विशेषाग्र पूजा, आशीर्वाद मन्त्र, कवच, स्तोत्रादि का वर्णन ), १.१०६ ( गणेश के शिरोनाश तथा गज मस्तक सन्धान के हेतु का कथन ), १.१०७ ( गणेश व कार्तिकेय के विवाह हेतु शिव - पार्वती द्वारा पृथ्वी प्रदक्षिणा रूप शर्त, गणेश द्वारा माता - पिता व गौ की प्रदक्षिणा कर पृथ्वी प्रदक्षिणा रूप शर्त को पूर्ण करने का वृत्तान्त ), १.१०८ ( प्रजापति द्वारा गणेश को सिद्धि व बुद्धि नामक कन्या - द्वय का समर्पण, गणेश को क्षेम व लाभ नामक पुत्रों की प्राप्ति का कथन ), १.२६९ ( वार्षिक चतुर्थी व्रतों में गणेशात्मक वासुदेव, संकर्षण, प्रद्युम्न, अनिरुद्ध व्रत का वर्णन ), १.३३३.४ ( लक्ष्मीस्वरूपा पद्मावती नदी द्वारा गणेश से पति हेतु अभ्यर्थना, गणेश द्वारा प्रथम असुर - पत्नी तथा पश्चात् वृक्षमयी होने के शाप प्रदान का वृत्तान्त ), १.४०७.३२( भृगु के शाप से कृष्ण के गणेश रूप में जन्म लेने के कारण का कथन ), १.४४१.८३ ( अगुरु वृक्ष रूप में गणाधिप के अवतरण का उल्लेख ), १.४५०.१२६ (गणेश की कृष्णस्वरूपता का उल्लेख ), १.४५८.१३२ ( परशुराम का कैलास गमन, गणेश द्वारा निरोध, परशुराम द्वारा दन्तछेदन, गणेश की एकदन्त नाम से प्रसिद्धि का कथन ), १.५३३.१२०( शब्दादि मात्राओं के गजवक्त्र बनने का उल्लेख ), २.१४१.८९ ( गणेश मूर्ति निर्माण में मान अनुमाप आदि का कथन ), २.२७९.३६ ( गणेश पूजन के फल का कथन ) । ganesha Relation between Ganesha and Lakshmi
|