PURAANIC SUBJECT INDEX (From vowel U to Uu) Radha Gupta, Suman Agarwal and Vipin Kumar Udaana - Udgeetha (Udaana, Udumbara, Udgaataa, Udgeetha etc.) Uddaalaka - Udvartana (Uddaalaka, Uddhava, Udyaana/grove, Udyaapana/finish etc. ) Unnata - Upavarsha ( Unnetaa, Upanayana, Upanishat, Upbarhana, Upamanyu, Uparichara Vasu, Upala etc.) Upavaasa - Ura (Upavaasa/fast, Upaanaha/shoo, Upendra, Umaa, Ura etc. ) Ura - Urveesha (Ura, Urmilaa, Urvashi etc.) Uluuka - Ushaa (Uluuka/owl, Uluukhala/pounder, Ulmuka, Usheenara, Usheera, Ushaa etc.) Ushaa - Uurja (Ushaa/dawn, Ushtra/camel, Ushna/hot, Uuru/thigh, Uurja etc.) Uurja - Uurdhvakesha (Uurja, Uurjaa/energy, Uurna/wool ) Uurdhvakesha - Uuha (Uushmaa/heat, Riksha/constellation etc.)
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| Puraanic contexts of words like Udaana, Udumbara, Udgaataa, Udgeetha etc. are given here. Vedic contexts of word Udgaataa Esoteric aspect of Udumbara/Ficus Glomearata उदान अग्नि ८५.१४(प्रतिष्ठा कला/स्वप्न के २ प्राणों में से एक, सुषुम्ना नाडी में उदान वायु की स्थिति का कथन ), २१४.११( उदान वायु के विशिष्ट कार्यों का कथन : अधर वक्त्र का स्पन्दन , नेत्र रोग प्रकोपक, मर्मों का उद्वेजन ) , कूर्म १.७.३८ ( ब्रह्मा द्वारा उदान से पुलस्त्य की सृष्टि करने का उल्लेख ) , गरुड १.१५.७५ ( उदानस्य पति: : विष्णु सहस्रनामों में से एक ) , १.१४१.४ ( सुदानक - पुत्र , अह्निनर - पिता , शतानीक वंश ) , १.१५३.४ ( उदान द्वारा सन्धियों में फेंके गये दोषों से उत्पन्न विकारों का वर्णन : क्लेश , अरुचि आदि आदि ) , x/२.२.४७ ( मत्यु काल में काया में उष्मा का प्रकोप होने के पश्चात् उदान वायु द्वारा ऊर्ध्व दिशा में गमन करके भुक्त अन्न की अधोगति निरोध करने का कथन ) , देवीभागवत ३.१२.५० ( यज्ञ में सभ्य अग्नि के उदान व आवसथ्य के समान वायु से तादात्म्य होने का उल्लेख ), ११.२२.२८ ( प्राणाग्निहोत्र में मध्यमा , अनामिका व अङ्गुष्ठ से उदान की आहुति देने का निर्देश ) , ११.२२.३९ ( उदान मन्त्र के वर्ण , ऋषि , देवता व छन्द का कथन : शक्रगोप - सम वर्ण आदि ) , नारद १.४२.८० ( उदान से उच्छ्वास उत्पन्न होने का उल्लेख ), १.४२.१०३( उदान के प्रयत्न, कर्म व नियम में कारण होने का उल्लेख ), १.६०.१४ ( साध्य - पौत्र , समान - पुत्र , व्यान - पिता आदि ), १.६०.२०( उदान के कर्मों का कथन ), पद्म २.१२०.३६( उदान के कारण तीव्र स्फुरण पर शब्द तथा शब्द से श्वास उत्पन्न होने आदि का कथन ), ब्रह्म १.७०.५८ ( देहधारियों में उदान के अर्ध होने का उल्लेख ), १.१०५.३३ ( मृत्युकाल में उदान का ऊर्ध्व दिशा में प्रवृत्त होकर भुक्त अन्न आदि की अधोगति निरोध करने का कथन ) , ब्रह्मवैवर्त्त २.२.४५ ( कृष्ण व उनकी प्रिया के बीच सुरतान्त में प्रिया की नि:श्वास वायु से प्राण , अपान आदि के उत्पन्न होने का उल्लेख ) , ब्रह्माण्ड १.१.५.७५ ( ब्रह्मा के उदान से पुलस्त्य ऋषि व अन्य वायुओं से अन्य ऋषियों की उत्पत्ति का उल्लेख ) , १.२.९.२४ ( वही) , २.३.३.१९ ( स्वायम्भुव मन्वन्तर के मन , अनुमन्ता , प्राण , नर आदि १२ साध्य देवों का स्वारोचिष मन्वन्तर में प्राण, अपान, उदान आदि १२ तुषित देव बनने का कथन ), २.३.७२.५२ ( परमात्मा के साथ वायु का गर्भ में प्रवेश करके प्राण , अपान आदि वायुओं में विभाजित होने तथा उदान के देहधारियों में अर्ध होने का कथन ) , भविष्य १.१५७.४४ ( गर्भ में वायु के प्रवेश पर उदान का ऊर्ध्व दिशा में प्रवृत्त होना ) , मत्स्य २९०.६ ( १३वें कल्प के रूप में उदान का उल्लेख ) , मार्कण्डेय १०.५० ( मृत्यु काल में देह में उष्मा के प्रकुपित होने पर उदान की ऊर्ध्व प्रवृत्ति होने, भुक्त जलों व अन्नों की अधोगति का निरोध होने और दान किये हुए जल व अन्नों द्वारा आह्लाद प्राप्त होने का कथन ) , लिङ्ग १.७०.१८७ ( ब्रह्मा द्वारा उदान से पुलस्त्य की सृष्टि का उल्लेख ) , २.२७.८२ ( उदाना : श्रीव्यूह के प्रथम आवरण में स्थित शक्तियों में से एक ) , वायु ९.९४ ( ब्रह्मा के उदान से पुलस्त्य की सृष्टि का उल्लेख ) , २१.४३ ( २१वें कल्प में ब्रह्मा के पांच मानस पुत्रों के रूप में प्राण , उदान आदि का उल्लेख ) , ६६.१८ / २.५.१८ ( प्राण, अपान , उदान आदि तुषित देवों के स्वारोचिष मन्वन्तर में नामों का कथन ), ९७.५४ /२.३५.५४ (गर्भ में परमात्मा सहित वायु के प्रवेश पर उदान का शरीर में ऊर्ध्वमुखी होने का उल्लेख ) , शिव २.१.१६.५ ( ब्रह्मा द्वारा उदान से पुलस्त्य की सृष्टि का उल्लेख ) , स्कन्द १.२.५०.२२ ( देह में प्राण आदि के विशिष्ट कार्यों का कथन : उदान द्वारा वाक् प्रवृत्ति , उद्गार , सर्व कर्मों में प्रयत्न में , कण्ठ के सुर में स्थिति ), ७.१.१०५.४८ ( ३० कल्पों में से १३वें कल्प का नाम ), हरिवंश १.४०.५८ ( अपान के पश्चिम काया में तथा उदान की ऊर्ध्व काया में स्थिति का कथन ), महाभारत वन २१३.८ ( प्राण के प्रयत्न, कर्म व बल में प्रवृत्त होने पर प्राण की उदान संज्ञा का उल्लेख ) , शान्ति ३२८.३३ ( समान - पुत्र , व्यान - पिता आदि ) , ३२८.३८ ( आधिभौतिक उद्वह वायु का देह के अन्दर उदान वायु से तादात्म्य तथा उसके विशिष्ट कार्यों का कथन ) , आश्वमेधिक २०.१६ ( अपान व प्राण के मध्य उदान की स्थिति आदि का कथन ) , २३.५ ( व्यान से पुष्ट वायु के उदान तथा उदान से पुष्ट वायु के समान होने आदि का कथन ) , २३.२० ( प्राण, अपान आदि की श्रेष्ठता वर्णन के अन्तर्गत उदान के वश में केवल व्यान होने का कथन ), २४.७ ( शुक्र और रस से उत्पन्न हर्ष के उदान रूप होने का कथन; मिथुन से उदान की उत्पत्ति, उदान के द्वन्द्वातीत होने का कथन ) , २४.१२ प्राणापान रूप अहोरात्र के मध्य हुताशन / अग्नि के उदान रूप होने आदि का कथन ) , २४.१५ ( सत् व असत् के मध्य हुताशन के उदान रूप होने का कथन ) , ३९.२० ( प्राण, अपान व उदान के रूप में गुण - त्रय का कथन ), द्र. प्राण - अपान आदि ‹ Udaana उदार ब्रह्माण्ड १.२.३६.९९ ( उदारधी : प्राचीनगर्भ व सुवर्चा - पुत्र , भद्रा - पति , दिवंजय - पिता , उत्तानपाद - वंश ), वामन ९०.१८( उदाराङ्ग तीर्थ में विष्णु का श्रीवत्साङ्क नाम से वास? ), वायु ६२.८५ ( वही), लक्ष्मीनारायण १.४१२.४५( समुद्र मन्थन से उत्पन्न प्रथम पुरुष, प्रसन्नता - पति ), कथासरित् ९.१.१७४ ( पत्रपुर के राजा उदारचरित के राज्य में राजा पृथ्वीरूप का आगमन , उदारचरित द्वारा सत्कार ) ‹ Udaara उदासीन पद्म २.१२.२२ ( उदासीन पुत्र के लक्षण )‹
उदुम्बर कूर्म २.१७.२१ ( द्विज के लिए उदुम्बर आदि भक्षण का निषेध )
,
नारद
१.५६.२०४ ( उदुम्बर वृक्ष की कृत्तिका नक्षत्र से उत्पत्ति का उल्लेख
-
उडुंबरश्चाग्निधिष्ण्ये रोहिण्यां जंबुकस्तरुः ॥
)
,
१.६८.३८ ( उदुम्बर की समिधा की आहुति से नृपतियों के वश में होने का उल्लेख ),
१.९०.१८० ( शुक्रवार को अग्नि में उदुम्बर की आहुति देने से इष्ट फल प्राप्ति
का कथन
-
उदुंबरस्य भृगुजे शम्या मांदेऽह्नि गोघृतैः ।
शुभ्रपीतसितश्यामवर्णाद्याः पूर्ववत्तथा ।।
)
,
१.११९.६० ( औदुम्बर : १४ यमों में से एक
;
फाल्गुन शुक्ल दशमी को १४ यमों के यजन का निर्देश )
,
पद्म
१.१६.१९० ( ब्रह्मा के यज्ञ में ब्रह्मा का मृगचर्म से
आवृत?
औदुम्बर दण्ड द्वारा सुशोभित होने का उल्लेख
-
औदुंबेरण दंडेन प्रावृतो मृगचर्मणा।
महाध्वरे तदा ब्रह्मा धाम्ना स्वेनैव शोभते
)
,
१.१९.२३५ ( दुर्भिक्ष काल में राजा द्वारा ऋषियों को हेमपूर्ण उदुम्बर दान करने
का प्रयास
,
ऋषियों की प्रतिक्रियाओं का वर्णन
-
उदुंबराणि व्यकिरन्हेमगर्भाणि भूतले।
ततो ह्यन्नं विचिन्वंतो गृह्णंश्चोदुंबराण्यपि।।
)
,
३.५६.२२ ( द्विज के लिए उदुम्बर आदि भक्षण का निषेध कथन )
,
६.१२२.१३ ( औदुम्बर : १४ यमों में से एक
;
कार्तिक कृष्ण चर्तुदशी को १४ यमों के लिए दीप दान का निर्देश
-
औदुंबराय दध्नाय नीलाय परमेष्ठिने।
वृकोदराय चित्राय चित्रगुप्ताय वै नमः
)
,
भविष्य
४.११३.३२ ( शनि ग्रह हेतु उदुम्बर की समिधा होम का निर्देश
-
अर्कः पलाशखदिरौ ह्यपामार्गोथ पिप्पलः ।
उदुंबरशमीदूर्वाकुशाश्च समिधः क्रमात् ।।
)
,
४.१४१.३१ ( वही)
,
भागवत
३.१२.४३( औदुम्बर : ब्रह्मा से उत्पन्न संन्यासियों के प्रकारों में से एक,
द्र. टीका
-
वैखानसा वालखिल्यौ दुम्बराः फेनपा वने ।
),
९.११.३२ ( राम के महल में विद्रुम निर्मित उदुम्बर देहली होने का उल्लेख
-
विद्रुमोदुम्बरद्वारैः वैदूर्य स्तंभपङ्क्तिभिः ।
),
मत्स्य
९३.१०१ ( अग्नि में वसुधारा होम के लिए आर्द्र औदुम्बरी स्रुचा निर्माण का
निर्देश
-
औदुम्बरीं तथार्द्राञ्च ऋज्वीं कोटरवर्जिताम्। Esoteric aspect of Udumbara/Ficus Glomearata उदूखलमेखला वामन ३४.४५ ( कपिल यक्ष की भार्या उदूखलमेखला यक्षी का कुरुक्षेत्र तीर्थ में वास , उदूखलमेखला द्वारा पाप युक्त स्त्री को रात्रि में भक्षण की पूर्व - चेतावनी ) , ५७.९५ ( उलूखलमेखला : बदरिकाश्रम द्वारा स्कन्द को प्रदत्त गणों में से एक ) ‹ Udookhalamekhalaa/ udukhalmekhala उद्गत विष्णुधर्मोत्तर ३.१८.१ ( ७ षड्ज ग्रामिकों में से एक )‹ उद्गाता देवीभागवत ३.१०.२२ ( तमसा तीर पर देवदत्त द्विज के पुत्रेष्टि यज्ञ में गोभिल के उद्गाता व पैल के प्रस्तोता होने का उल्लेख , गोभिल द्वारा देवदत्त को शाप का वर्णन - प्रस्तोतारं तथा पैलमुद्गातारं च गोभिलम् । ) , ११.२२.३१( प्राणाग्नि होत्र में प्राण के उद्गाता होने का उल्लेख - वाग्घोता प्राण उद्गाता चक्षुरध्वर्युरेव च ॥), पद्म १.१६.९८ ( ब्रह्मा के यज्ञ में मरीचि के उद्गाता होने का उल्लेख - तत्रोद्गाता मरीचिस्तु ब्रह्मा वै नारदः कृतः ।), १.३४.१४ ( पुष्कर में ब्रह्मा के यज्ञ में अंगिरस के उद्गाता, पुलह के प्रत्युद्गाता / प्रस्तोता , नारायण के प्रतिहर्त्ता तथा अत्रि के सुब्रह्मण्य होने का उल्लेख उद्गातांगिरसः प्रत्युद्गाता च पुलहस्तथा ॥ नारायणः प्रतिहर्ता सुब्रह्मण्योत्रिरुच्यते।), ब्रह्माण्ड १.१.५.२२( यज्ञवराह के उद्गातान्त्र होने का उल्लेख - उद्गातांत्रो होमलिङ्गः फलबीजमहोषधीः । वाद्यन्तरात्मसत्रस्य नास्मिकासोमशोणितः ॥ ), २.३.४७.४८ ( परशुराम के हयमेध में गौतम के उद्गाता बनने का उल्लेख -तस्याभूत्काश्यपोऽध्वर्युरुद्गाता गौतमो मुनिः ।), भागवत ५.१५.५ ( प्रतीह / प्रतिहार व सुवर्चला - पुत्र , प्रतिहर्त्ता व प्रस्तोता - भ्राता , भरत वंश - प्रतीहात्सुवर्चलायां प्रतिहर्त्रादयस्त्रय आसन्निज्याकोविदाः ) ,९.१६.२१ ( परशुराम द्वारा उद्गाता को उत्तर दिशा देने का उल्लेख - अध्वर्यवे प्रतीचीं वै उद्गात्रे उत्तरां दिशम् ॥ ) , मत्स्य १६७.७ ( यज्ञपुरुष के मुख से उद्गाता , ब्रह्म / सर्व से प्रस्तोता , उदर से प्रतिहर्त्ता व जानु से सुब्रह्मण्य की उत्पत्ति का उल्लेख - ब्रह्माणं प्रथमं वक्त्रादुद्गातारञ्च सागरम्।) , वराह २१.१६( दक्ष यज्ञ में पुलह के उद्गाता बनने का उल्लेख - होता पुलस्त्यस्त्वभवदुद्गाता पुलहोऽभवत् ।क्रतौ क्रतुस्तु प्रस्तोता तदा यज्ञे महातपाः ।।), स्कन्द ५.१.२८.७७ ( चन्द्रमा के राजसूय यज्ञ में हिरण्यगर्भ ऋषि के उद्गाता बनने का उल्लेख -हिरण्यगर्भश्चोद्गाता ब्रह्मा ब्रह्मत्वमेयिवान् ।।), ५.१.६३.२४१ ( वामनावतार प्रसंग में बलि के वाजिमेध में नारद के उद्गाता होने का उल्लेख अध्वर्युर्भगवानत्रिर्बभूव मुनिसत्तमः ।। उद्गाता नारदश्चैव वसिष्ठश्च सभासदः ।। ) , ५.३.१९४.५४ ( नारायण व श्री के विवाह यज्ञ में अत्रि , अंगिरस व मरीचि के उद्गाता होने का उल्लेख - औद्गात्रमत्र्यङ्गिरसौ मरीचिश्च चकार ह ॥ ) , ६.५.६ ( विश्वामित्र द्वारा सम्पादित त्रिशंकु के यज्ञ में याज्ञवल्क्य के उद्गाता , जैमिनि प्रतिहर्त्ता व शंकुवर्ण के प्रस्तोता होने का उल्लेख - उद्गाता याज्ञवल्क्यश्च प्रतिहर्ता च जैमिनिः॥ प्रस्तोता शंकुवर्णश्च तथोन्नेता च गालवः। ) , ६.१८०.३५ ( पुष्कर में ब्रह्मा के यज्ञ में गोभिल उद्गाता , कौथुम प्रस्तोता , शांडिल्य प्रतिहर्त्ता व अंगिरा के सुब्रह्मण्य ऋत्विज होने का उल्लेख - तथैव तत्र क्षेत्रे च उद्गाता गोभिलो मुनिः ॥ तथैव कौथुमो जज्ञे प्रस्तौता यज्ञकर्मणि ॥ ) , ७.१.२३.९३ ( प्रभास क्षेत्र में ब्रह्मा के यज्ञ में मरीचि उद्गाता, कश्यप प्रस्तोता , गालव प्रतिहर्त्ता व गर्ग के सुब्रह्मण्य ऋत्विज होने का उल्लेख - तत्रोद्गाता मरीचिस्तु ब्रह्मत्वे नारदः कृतः ॥) , हरिवंश ३.१०.६ ( श्री हरि की यज्ञ देह से ऋत्विजों की उत्पत्ति का कथन : मुख से उद्गाता , सर्व से प्रस्तोता , उदर से प्रतिहर्त्ता व पाणि से सुब्रह्मण्य की उत्पत्ति - ब्रह्माणं परमं वक्त्रादुद्गातारं च सामगम् । ) , लक्ष्मीनारायण १.५११.८६ ( ब्रह्मा के यज्ञ में उद्गाता द्वारा उदुम्बरी कन्या को वरदान उद्गाता च तदा प्राह यज्ञे क्षतेर्निवारिके ।। तुष्टोऽहं त्वं वरं ब्रूहि न वृथा दर्शनं मम ।), २.१०६.४७ (राजा दक्षजवंगर के वैष्णव यज्ञ में बलायन उद्गाता , मषीग्रीव आहर्त्ता व रवासन के प्रतिहर्त्ता होने का उल्लेख - होता होमायनश्चैव तथोद्गाता बलायनः । आहर्ता च मषीग्रीवः प्रतिहर्ता रवासनः ।। ) , २.१२४.११ ( शिबिदेव के वैष्णव मख में वेदों - उपवेदों के गाता तथा शाखामूर्तियों के उद्गाता होने का उल्लेख - वेदास्तथोपवेदाश्च गातारश्चाऽभवँस्तदा ।।उद्गातारस्तदा चासन् शाखामूर्तय इत्यपि ॥) , २.२४८.३६ ( सोमयाग में पंचम दिवस में बहिष्पवमान हेतु ऋत्विजों के प्रसर्पण का क्रम कथन : अध्वर्यु , प्रस्तोता , प्रतिहर्त्ता , उद्गाता , ब्रह्मा - अग्रेऽध्वर्युस्ततः कच्छं धृत्वा प्रस्तोताऽन्वसरत् ।।कच्छं धृत्वा प्रतिहर्ता तत उद्गाताऽन्वसरत् ।) , ४.८०.१२ ( राजा नागविक्रम के सर्वमेध यज्ञ में फालायन के उद्गाता , सारायण के प्रत्युद्गाता , अजायन के आहर्त्ता , दण्डायन के प्रतिहर्त्ता , भालायन के प्रस्तोता व रसायन के प्रतिप्रस्तोता होने का उल्लेख -फालायनोऽभवत्तत्रोद्गाता सामपरायणः ।।सारायणोऽभवत्प्रत्युद्गाता वेदार्थवित्तथा ।), महाभारत उद्योगपर्व १४१.२९ ( कर्ण द्वारा भावी कौरव - पाण्डव युद्ध की यज्ञ से तुलना : अभिमन्यु उद्गाता , भीम प्रस्तोता , युधिष्ठिर ब्रह्मा , युद्ध में सिंहनाद सुब्रह्मण्य आदि - गीतं स्तोत्रं स सौभद्रः सम्यक् तत्र भविष्यति ।। ) Udgaataa /udgata
Vedic contexts of word Udgaataa उद्गीथ अग्नि १०७.१५ ( भुव - पुत्र , प्रस्तार - पिता , भरत वंश ), ब्रह्माण्ड १.२.१४.६७ ( भूमा - पुत्र , प्रस्ताव - पिता , भरत / नाभि वंश ) , भागवत ५.१५.६ ( भूमा व ऋषिकुल्या - पुत्र , देवकुल्या - पति , प्रस्ताव - पिता ) , १०.८५.५१ ( वसुदेव व देवकी के ६ षड~गर्भ संज्ञक पुत्रों में से एक ) , वायु ३३.५६ ( भुव - पुत्र , प्रस्तार -पिता , भरत वंश ), स्कन्द ७.१.१७.१४१ ( साम की सिद्धि के हुंकार आदि ७ लक्षणों में से एक ) ‹ Udgeetha This page was last updated on 03/10/24.
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