PURAANIC SUBJECT INDEX

(From vowel U to Uu)

Radha Gupta, Suman Agarwal and Vipin Kumar

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Udaana - Udgeetha  (Udaana, Udumbara, Udgaataa, Udgeetha etc.)

Uddaalaka - Udvartana (Uddaalaka, Uddhava, Udyaana/grove, Udyaapana/finish etc. )

Unnata - Upavarsha ( Unnetaa, Upanayana, Upanishat, Upbarhana, Upamanyu, Uparichara Vasu, Upala etc.)

Upavaasa - Ura (Upavaasa/fast, Upaanaha/shoo, Upendra, Umaa, Ura etc. )

Ura - Urveesha (Ura, Urmilaa, Urvashi etc.)

Uluuka - Ushaa (Uluuka/owl, Uluukhala/pounder, Ulmuka, Usheenara, Usheera, Ushaa etc.)

Ushaa - Uurja (Ushaa/dawn, Ushtra/camel, Ushna/hot, Uuru/thigh, Uurja etc.)

Uurja - Uurdhvakesha (Uurja, Uurjaa/energy, Uurna/wool ) 

Uurdhvakesha - Uuha (Uushmaa/heat, Riksha/constellation etc.)

 

 

 

Puraanic contexts of words like Ura, Urmilaa, Urvashi etc. are given here.

Comments on Urvashee

Vedic contexts on Urvashee

उरग मत्स्य १७१.४९( महोरग : विश्वेशा व धर्म के १० विश्वेदेव पुत्रों में से एक ), स्कन्द ३.१.४९.४३(लय की उरग रूप में कल्पना – जन्मव्याघ्रे लयोरगे)

उरभ्र विष्णुधर्मोत्तर .२१५.५१ ( चक्षु नदी के उरभ्र वाहन का उल्लेख ), .९९.८८ ( भरणी नक्षत्र में स्नान के अन्तर्गत उरभ्र शृङ्ग के धूपार्थ उपयोग का उल्लेख ) ‹  

उरलकेतु लक्ष्मीनारायण .१६४.९७ ( उरल : माल्यवान देश का नाम ) , .१६७.१८( उरलकेतु : पूर्व प्रदेशों का राजा , यवक्रीत के साथ यज्ञ में आना ), .१७२.५६+ ( मोक्षिका नगरी के राजा उरलकेतु द्वारा श्री हरि का सत्कार, प्रजा द्वारा मोक्ष प्राप्ति, राजा को श्री हरि द्वारा उपदेश ), ‹ Uralaketu 

उरि स्कन्द ..८५.२७ ( रेवा - उरि संगम माहात्म्य ) , ..८५.९६ ( सोम द्वारा रेवा - उरि संगम पर लिङ्ग की स्थापना )‹ 

उरु गरुड ३.१८.२८(और्व के संदर्भ में उरु की निरुक्ति) ब्रह्माण्ड ३.४.१.११४ ( भौत्य मनु के ९ पुत्रों में से एक ), भागवत  ८.१३.३३ ( १४वें इन्द्रसावर्णि मनु के पुत्रों में से एक ), मार्कण्डेय ७६.५६ / ७३.५६ ( चाक्षुष मनु के पुत्रों में उरू, पुरु आदि का उल्लेख )  Uru

 

उरुकण्टक भविष्य ... ( आत्रेय प्रवर के नामों में से एक )

उरुक्रम भागवत .२१. ( ब्रह्मा के कमण्डलु के जल द्वारा वामन /उरुक्रम के पाद प्रक्षालन ), १०..२२ ( उरुक्रम विष्णु से मुख की रक्षा की प्रार्थना ), लक्ष्मीनारायण .१०१.११६ ( उरुक्रमा : कृष्ण - पत्नी , संक्रमा वामन युगल की माता )Urukrama           

उरुक्षय मत्स्य १९६.२९ ( ऋषि प्रवर वर्णन के अन्तर्गत उरुक्षय प्रवर के अवैवाह्य गोत्रों का कथन ), २७१. ( बृहद्बल - पुत्र, वत्सद्रोह - पिता )

उरुक्षव मत्स्य ४९.३७ ( अहार्य - पुत्र, विशाला - पति, त्र्युषण आदि पुत्रों के नाम )                                                                                               

उरुगवाक्ष लक्ष्मीनारायण .२२२+ ( उरोगमन राष्ट्र के राजा उरुगवाक्ष द्वारा श्री हरि का स्वागत , श्री हरि द्वारा उपदेश )

उरुगाय भागवत १०..२३ ( उरुगाय विष्णु से कोणों में रक्षा की प्रार्थना )

उरुबिन्दु हरिवंश .२३. ( जन्मान्तर में मानस पर्वत पर हंस बने कौशिक - पुत्रों में से एक, जन्मान्तरों का वृत्तान्त ) ‹  

उरुल लक्ष्मीनारायण .१२२.३०( देवायतना भक्त ऋषि का उरुला सङ्गम पर आगमन ) 

उरुवल्क भागवत .२४.४९ ( वसुदेव इला - पुत्र ) ‹  

उरुशृङ्ग भागवत .२०.२६ ( शाकद्वीप के मर्यादा पर्वतों में से एक ) ‹  

उरुश्रवा भागवत ..२० ( सत्यश्रवा - पुत्र, देवदत्त - पिता )

उर्मिला अग्नि .१२ ( लक्ष्मण द्वारा उर्मिला का वरण ), पद्म .६७.३७( ऊर्मिला : लक्ष्मण - पत्नी ), भविष्य .५४ ( निमि - पत्नी , पुत्री श्यामला द्वारा माता का सात यातना कक्षों से उद्धार का उद्योग ) , वा.रामायण .३३.१२ ( उर्मिला गन्धर्वी की पुत्री सोमदा द्वारा चूली मुनि की सेवा से ब्रह्मदत्त पुत्र की प्राप्ति ), स्कन्द ..२९.३३ ( ऊर्मिला : गङ्गा सहस्रनामों में से एक ) Urmilaa

उर्व पद्म १.४१.७१ ( ब्रह्मर्षि - पुत्र , ब्रह्मचर्य व्रत धारी उर्व का देवों द्वारा पुत्र उत्पन्न करने के आग्रह पर उरु रूपी अरणि मन्थन से और्व अग्नि को प्रकट करना , हिरण्यकशिपु को और्वी माया प्रदान करना ) , मत्स्य ५०.८५ ( पुरञ्जय - पुत्र , तिग्मात्मा - पिता , अधिसोमकृष्ण - वंश )  द्र. ऊर्व , और्व  Urva

 

उर्वशी कूर्म १.२३ ( उर्वशी का राजा दुर्जय के साथ रमण, राजा को अपने घोर रूप के दर्शन कराना ) , देवीभागवत १.१३.६ ( उर्वशी - पुरूरवा कथा ) , ४.६.३४.३५ (इन्द्र व अप्सराओं के गर्व हरणार्थ नारायण द्वारा ऊरु से उर्वशी को प्रकट करके इन्द्र को भेंट करना ) , नारद २.६३.१४२ ( प्रयाग में उर्वशी पुलिन सरोवर पर प्राण त्याग का माहात्म्य ) , पद्म १.१२.६८ ( पुरूरवा द्वारा उर्वशी की केशी दानव से रक्षा , उर्वशी द्वारा अभिनय में लक्ष्मी रूप धारण , नृत्य में त्रुटि पर भरत द्वारा उर्वशी को शाप , उर्वशी द्वारा पुरूरवा से ८ पुत्रों की उत्पत्ति ) , ब्रह्म १.१२०.१०४ ( उर्वशी का सिद्ध से संवाद , मूर्ख ब्राह्मण से मिलन व संवाद , वृद्धा रूप धारण करके ब्राह्मण को शर्करा शकट प्रदान करना, ब्राह्मण का अगले जन्म में पुरूरवा बनना ) , ब्रह्मवैवर्त्त ४.६२.४२(उर्वशी के शाप से स्वर्वैद्य के यज्ञभाग से वर्जित होने का उल्लेख),  ब्रह्माण्ड १.२.२३.१८ ( सह व सहस्य मास में सूर्य रथ में उर्वशी व पूर्वचित्ति अप्सराओं की स्थिति ) , २.३.६६.१ ( उर्वशी - पुरूरवा की संक्षिप्त कथा ) , भागवत २.३.६ (पत्नी प्राप्ति की कामना पूर्ति हेतु उर्वशी की आराधना का विधान ) , ९.२१.३५ (उर्वशी दर्शन से शरद्वान के वीर्य का स्खलन, कृप व कृपी का जन्म ), ११.२६.४ (उर्वशी द्वारा पुरूरवा के परित्याग पर पुरूरवा को वैराग्य बोध उत्पन्न होना ),१२.११.४१ ( सह / मार्गशीर्ष मास में सूर्य रथ व्यूह में उर्वशी की स्थिति ) , मत्स्य २४.२७ (पुरूरवा पर अनुराग के कारण नृत्य में त्रुटि पर भरत मुनि द्वारा उर्वशी को भूतल पर सूक्ष्म लता बनने का शाप, पुरूरवा - उर्वशी कथा , आठ पुत्रों के नाम ) , ६१.२६ ( तपोरत नारायण से उर्वशी की उत्पत्ति , वरुण व मित्र की उर्वशी पर आसक्ति, उर्वशी द्वारा वरुण को चित्त प्रदान करने पर मित्र द्वारा उर्वशी को शाप, मित्रावरुण वीर्य से वसिष्ठ व अगस्त्य मुनियों का जन्म आदि ) , ६९.५९ ( आभीरी कन्या का भीम द्वादशी व्रत से अगले जन्म में उर्वशी बनना ) , वा.रामायण ७.५६.१ (उर्वशी द्वारा वरुण को अपना हृदय और मित्र को देह दान करने पर मित्र द्वारा उर्वशी को भूतल पर जाने का शाप ) , वराह १४१.५२ ( उर्वशी कुण्ड माहात्म्य ) , वामन ७.४ ( उर्वशी की नर - नारायण से उत्पत्ति व इन्द्र के आधीन होना ) , वायु ९१/२.२९.१ ( उर्वशी - पुरूरवा कथा , ६ पुत्रों के नाम ) , विष्णु ४.६.३४ ( उर्वशी - पुरूरवा कथा , ६ पुत्रों के नाम ) , विष्णु धर्मोत्तर १.११७.२५ (उर्वशी दर्शन से मित्रावरुण का वीर्य स्खलन, अगस्त्य व वसिष्ठ की उत्पत्ति ), १.१२९.१२ ( नारायण की ऊरु से उर्वशी की उत्पत्ति का प्रसंग ) , १.१३०.१( इला - पुत्र पुरूरवा के सम्बन्ध में उर्वशी का रम्भा से संवाद ) , १.१३१.१ ( उर्वशी का रम्भा के साथ पुरूरवा के क्रीडावन में अवतरण ) , १.१३२.१ ( रम्भा द्वारा क्रीडावन में स्थित वृक्षों की उर्वशी के अंगों से उपमा ) , १.१३३.१ ( पुरूरवा की उर्वशी पर आसक्ति का वर्णन , पुरूरवा व उर्वशी का मिलन , ५ पुत्रों के नाम ) , ३.३५.१ ( नारायण द्वारा सबसे पहले चित्र रूप में उर्वशी की कल्पना , तत्पश्चात विश्वकर्मा द्वारा उर्वशी का निर्माण ) , स्कन्द १.२.१३.१७४ ( शतरुद्रिय प्रसंग में उर्वशी द्वारा शिव के सिन्दूर निर्मित लिङ्ग की पूजा ) , २.३.७.५८ ( नर - नारायण आश्रम में उर्वशी की उत्पत्ति कथा ) ,२.८.७.८५ ( उर्वशी द्वारा रैभ्य मुनि के तप में विघ्न , कुरूपता शाप प्राप्ति , अयोध्या स्नान से मुक्ति ) , ३.१.२८ ( पुरूरवा से मिलन , वियोग, पुन: मिलन , तुम्बुरु का शाप आदि ) , ३.२.३.६८(उर्वशी की वर्द्धनी संज्ञा), ५.१.८ ( नारायण से उर्वशी की उत्पत्ति कथा ) ,५.३.१७२.१४ ( उर्वशी द्वारा शम्बर राक्षस को दिए गए शाप का कथन ) ,५.३.१९८.८७ ( बदरी तीर्थ में उमा की उर्वशी नाम से स्थिति का उल्लेख ) , ७.४.१७.२१ ( द्वारका के दक्षिण द्वार पर उर्वशी की स्थिति का उल्लेख ) , हरिवंश १.२६.४ (पुरूरवा - उर्वशी कथा ) , लक्ष्मीनारायण १.८९.१७ ( इन्द्र सभा में उर्वशी के नृत्य काल में इन्द्र द्वारा बृहस्पति का तिरस्कार तथा शाप प्राप्ति ) , १.२०८.६७ ( इन्द्र के गर्व नाशार्थ नारायण द्वारा आम्र मञ्जरी से ऊरु का मन्थन करके उर्वशी को प्रकट करना  , इन्द्र द्वारा उर्वशी की याचना , उर्वशी के उत्पत्ति स्थल उर्वशी कुण्ड में स्नान का माहात्म्य ) , १.२०९.३९ ( बदरी तीर्थ में उर्वशी संगम तीर्थ की स्थिति ) , १.२५५.८१ ( पुत्रदा एकादशी व्रत प्रभाव से पुरूरवा को उर्वशी से पुत्रों की प्राप्ति ) , १.४३३ ( उर्वशी के पूर्व जन्मों का वृत्तान्त : पतिद्रोही ब्राह्मणी का सौ बार शुनी रूप में जन्म, अंतिम शुनी जन्म में सोपान पर बैठी शुनी पर कृष्ण पूजा जल से अभिषेक पर शुनी को जाति ज्ञान उत्पन्न होना व नारायण - सुता बनना ) , २.९८ ( उर्वशी द्वारा अनासक्त सनत्सुजात मुनि को मार्जारी बनने का शाप , सनत्सुजात द्वारा उर्वशी को चक्रवाकी वनने का शाप ) , २.१०० ( चक्रवाकी रूप धारी उर्वशी की शिवराज - पुत्री लक्ष्मी से भेंट , माता लक्ष्मी के पिंजरे में वास करना ), २.१०४ ( लक्ष्मी व चक्रवाकी का तप हेतु हिमालय पर हनुमान आश्रम में गमन व तप ), २.१०५ ( चक्रवाकी द्वारा पिता नारायण के दर्शन , नारायण से केवल शृङ्ग पर स्थित जल पीने का हठ, नारायण द्वारा अन्ततः शृङ्ग पर जल उपलब्ध कराना , मुक्ति , शृङ्ग द्वारा उर्वशी शृङ्ग नाम प्राप्ति ) , २.२३०.६ ( उर्वशी का आम्रजानी से तादात्म्य ) , कथासरित् ३.३.५ ( पुरूरवा - उर्वशी कथा ), द्र. पुरूरवा  Urvashee/ urvashi

Comments on Urvashee

Vedic contexts on Urvashee 

उर्वीश पद्म .१९ ( उर्वीशु : भ्रष्ट ब्राह्मण , विष्णु को शकट दान से मुक्ति ), ब्रह्माण्ड ..४४.४९ ( लिपि मातृका न्यास प्रसंग में एक स्वर के देवता का नाम )

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