पुराण विषय अनुक्रमणिका PURAANIC SUBJECT INDEX (From Pitaa to Puurnabhadra ) Radha Gupta, Suman Agarwal & Vipin Kumar
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Puraanic contexts of words like Punyasheela, Putra / son, Putri / Putree / daughter, Punarvasu etc. are given here. पुण्यजनी ब्रह्माण्ड २.३.७.१२१( क्रतुस्थला - पुत्री, मणिभद्र गुह्यक - पत्नी, पुत्रों के नाम ), वायु ६९.१५३/२.८.१४८( मणिभद्र - पत्नी, पुत्रों व कन्याओं के नाम ), विष्णुधर्मोत्तर १.१९७.१२( ककुत्स्थ - पुत्री, मणिचर यक्ष की भार्या, पुण्यजन यक्षों आदि की माता ) punyajanee
पुण्यनिधि स्कन्द ३.१.५०( विन्ध्यावली - पति राजा पुण्यनिधि द्वारा लक्ष्मी की कन्या रूप में प्राप्ति, विप्र रूप धारी विष्णु का बन्धन आदि ), लक्ष्मीनारायण १.४३८( लक्ष्मी द्वारा राजा पुण्यनिधि की परीक्षा हेतु राजा की कन्या बनना, विप्र रूप धारी विष्णु द्वारा कन्या के धर्षण पर राजा द्वारा विप्र का बन्धन, ज्ञान प्राप्त होने पर विष्णु व लक्ष्मी की स्तुति ) punyanidhi
पुण्यवती लक्ष्मीनारायण ३.३४.७५( सती पुण्यवती द्वारा अपत्यहीन रहने पर ब्रह्मा को अपत्यहीनता का शाप, ब्रह्मा का सृष्टिविहीन होना, शाप निवृत्ति हेतु पुण्यनारायण का प्राकट्य ),
पुण्यरात लक्ष्मीनारायण ३.१८( पुण्यरात विप्र व उसकी पत्नी राधनिका द्वारा भूमि के सब प्राणियों की मुक्ति हेतु तप, कृष्ण का आगमन ), ३.१९.१( पुण्यरात विप्र के तप के कारण सब प्राणियों को तारने वाले कृपानारायण का प्राकट्य ) punyaraata
पुण्यशील गणेश १.५६.१०( पुण्यशीला : शूरसेन - पत्नी ), पद्म ६.१०९.३३( विष्णुदास विप्र के विष्णु - पार्षद पुण्यशील बनने का वृत्तान्त : चाण्डाल रूप धारी विष्णु की सेवा ), स्कन्द २.१.२२.२४( आकाशगङ्गा में स्नान से पुण्यशील की गर्दभ मुख विकृति से मुक्ति ), २.४.२७.३२( विष्णुदास विप्र व चोल नृप के विष्णु पार्षद पुण्यशील व सुशील बनने का वृत्तान्त ), २.४.२५५.९( २ विष्णु - पार्षदों में से एक ), ४.१.७.१३४( शिवशर्मा द्विज द्वारा मृत्यु पश्चात् विष्णु के गणों पुण्यशील व सुशील के दर्शन ), ४.१.८.६( पुण्यशील व सुशील द्वारा शिवशर्मा को विभिन्न लोकों का परिचय देना ), लक्ष्मीनारायण १.४२५.९६( विष्णुदास विप्र व चौल राजा में भक्ति की प्रतिस्पर्द्धा, विप्र के पुण्यशील व नृप के सुशील नामक विष्णु पार्षद - द्वय बनने का वृत्तान्त ) punyasheela/ punyashila
पुण्यश्रवा पद्म ५.७२.१५२( तप से पुण्यश्रवा का कृष्ण - पत्नी लवङ्गा के रूप में जन्म ) punyashravaa
पुण्यसेन कथासरित् ३.१.९७( राजा पुण्यसेन के मन्त्रियों द्वारा राजा की मृत्यु के मिथ्या समाचार द्वारा राज्य की रक्षा का वृत्तान्त ), १२.१.२५( राजा पुण्यसेन के अमात्य हरिस्वामी की कन्या सोमप्रभा के विवाह का वृत्तान्त ) punyasena
पुण्योदा वायु ४२.३( सोम से नि:सृत पुण्योदा नदी की प्रशंसा ), ४४.२१( केतुमाल देश की नदियों में से एक )
पुत्तलिका अग्नि १३३.१६( शत्रु की पुत्तलिका द्वारा शत्रु का नाश ), गरुड २.३०.४४/ २.४०.४४( अपमृत्यु की स्थिति में शरीर रूपी पुत्तलिका निर्माण की विधि ), नारद १.९०.१०९( शत्रु नाश हेतु पुत्तली निर्माण व होम विधि ), लक्ष्मीनारायण १.७७( नारायण बलि हेतु मृतक की पुत्तलिका का निर्माण ), २.७७.५३( ताम्र व आयस पुत्तलिका दान का फल : गणिका संगज पाप की निवृत्ति ), २.७७.५४( आयस पुत्तली दान से ६ ईतियों से निवृत्ति का उल्लेख ) puttalikaa
पुत्र अग्नि २५६.१५( १२ प्रकार के पुत्रों का वर्णन ), ३०२.१७( पुत्र प्राप्ति हेतु ओषधि योग ), गणेश २.७३.३९( शौनक द्वारा राजा चक्रपाणि को पुत्र प्राप्ति हेतु सौर व्रत का उपदेश ), गरुड २.१५.२९( क्षेत्रज /इतर पुत्रों द्वारा पार्वण श्राद्ध का निषेध ), २.२५.३५(औरस पुत्र द्वारा पार्वण तथा अन्य पुत्रों द्वारा एकोद्दिष्ट श्राद्ध का विधान), देवीभागवत ०.२.४०( पुत्र प्राप्ति हेतु देवीभागवत पुराण श्रवण का महत्त्व ; नारद - वसुदेव संवाद ), १.४.४( कलविङ्क पक्षियों को देखकर व्यास को पुत्र प्राप्ति की तृष्णा ), ६.१३.७( १०विध पुत्रों का उल्लेख ; हरिश्चन्द्र द्वारा क्रीत पुत्र शुन:शेप की बलि का वृत्तान्त ), ७.१६.१५( वही), नारद १.९०.७२( कह्लार द्वारा देवी पूजा से पुत्र सिद्धि का उल्लेख ), १.११६.६५( माघ कृष्ण सप्तमी को आदित्य की अर्चना से आदित्य की पुत्र रूप में प्राप्ति का उल्लेख ), १.१२०.६४( पुत्रदा एकादशी व्रत की विधि ), पद्म २.११( सुमना - सोमशर्मा संवाद में पुत्रों के प्रकारों का वर्णन ), २.११.३२( न्यास हरण पर न्यास - स्वामी द्वारा पुत्र रूप में उत्पत्न होकर धन व्यय कराने का कथन ), २.१२.१( ऋणदाता द्वारा पुत्र रूप में उत्पन्न होकर धन व्यय कराने का वर्णन ), २.१२.१६( प्रिय व उदासीन पुत्रों के लक्षणों का कथन ), २.१२.३८( सोमशर्मा - पत्नी सुमना द्वारा पुत्र की प्रशंसा ), ४.५.३( अपुत्रवान् बनाने वाले तथा पुत्रवान् बनाने वाले कर्मों का वर्णन ), ५.८७.६८( सुमना द्वारा पति को प्रोक्त ५ प्रकार के पुत्रों के लक्षण ), ब्रह्म १.११३.७६( पुत्र प्राप्ति हेतु मैथुन के लिए युग्म - अयुग्म तिथियों का विचार ), २.५४.१२०( पुत्र तीर्थ का वर्णन , मरुत उत्पत्ति कथा ; दिति - गङ्गा सङ्गम की पुत्र तीर्थ के रूप में ख्याति के कारण का वर्णन ), ब्रह्मवैवर्त्त ३.२.२४( पार्वती द्वारा शिव को अपुत्रवान् होने के दु: का निवेदन ), ३.३.३( शिव द्वारा पार्वती को पुत्र हेतु पुण्यक व्रत चीर्णन का सुझाव, पुण्यक व्रत की श्रेष्ठता का वर्णन ), ३.४( पुत्र प्राप्ति हेतु पुण्यक व्रत की विधि का वर्णन ), ३.४.६३( पुत्र हेतु कूष्माण्ड आदि फल दान का निर्देश ), ३.६द्द ( पार्वती द्वारा चीर्णित पुण्यक व्रत की विधि का विस्तार से वर्णन ), ३.८.४९( ४ प्रकार के पुत्रों में से वीर्यज पुत्र द्वारा धन भागी होने का कथन ), ४.९३.७७( सौ क्रतुओं से पुत्र के और सौ पुत्रों से सत्य के श्रेष्ठ होने का उल्लेख ), ब्रह्माण्ड १.२.३८.३२( वैवस्वत मनु के ९ पुत्रों के नाम ), २.३.३.६९( सुरभि व कश्यप के ११ रुद्र पुत्रों के नाम ), २.३.६.२८( मय - पुत्र ), २.३.६.३०( अनायुषा - पुत्र ), २.३.६.३८( क्रोधा - पुत्र ), २.३.७.३१( कद्रू- पुत्र ), २.३.७.३७( खशा - पुत्र ), भविष्य ३.२.१९( राजा द्वारा द्विज के मध्यम पुत्र की राक्षस हेतु बलि दिए जाने पर द्विज - पुत्र के हास्य व रोदन के कारण का कथन ), मत्स्य ६८.१४( मृतवत्सा स्त्री के अभिषेक हेतु सप्तमी स्नपन व्रत ), १९६.३९( त्र्यार्षेय प्रवर प्रवर्तक ऋषियों में से एक ), मार्कण्डेय ५०.३३/४७.३३( मृत्यु के १४ पुत्रों की दस इन्द्रियों, राग, क्रोध आदि में स्थिति का कथन ), ५१.१/४८.१( दुःसह व निर्मार्ष्टि के ८ पुत्रों के नाम ), १२०.८/११७.८( अपुत्रवान् मृग का खनीनेत्र से संवाद ), वराह ४८.२२( पुत्र प्राप्ति हेतु बल व कृष्ण के यजन का निर्देश ), ६३( भाद्रपद कृष्ण अष्टमी को पुत्र प्राप्ति व्रत की संक्षिप्त विधि व माहात्म्य का कथन ), १९३.२७( नचिकेता के संदर्भ में पुत्र, पौत्र और प्रपौत्र के महत्त्व का कथन ), वामन १२.४७( पुत्र के स्पर्शवतों में वरिष्ठ होने का उल्लेख ), ६१.२८( पापों के नाश में शिष्य की अपेक्षा पुत्र की श्रेष्ठता का कथन ; औरस आदि पुत्रों के ६ प्रकारों का कथन ), वायु २८.३६( वसिष्ठ व ऊर्जा के सप्तर्षि संज्ञक पुत्रों में से एक ), ३१.१८( स्वायम्भुव मनु के १० पुत्रों में से एक ), ९२.१( पुत्रधर्मा : स्वर्भानु - कन्या प्रभा से उत्पन्न ५ पुत्रों में से एक ), विष्णुधर्मोत्तर ३.३३०.१( पुत्रों के १२ प्रकार व उनके लक्षण ), ३.७३( कृष्ण द्वारा पुत्र की महिमा का वर्णन ), शिव ५.१२.१८( रोपित वृक्षों के पुत्र बनने का उल्लेख ), ५.४०.४७( देवों द्वारा पितर रूपी पुत्रों से पृच्छा, पितरों द्वारा देवों को पुत्र बनाना ), स्कन्द ३.१.२६.३९(पुत्र नामक राजर्षि के पुत्र जानश्रुति की पौत्रायण संज्ञा), ५.३.१०३.११( पुत्र, पौत्र व प्रपौत्र द्वारा क्रमश: नरक से उद्धार, परम गति व शाश्वत ब्रह्म की प्राप्ति का उल्लेख ), ५.३.१०३.११५( गोविन्द विप्र द्वारा काष्ठ भार क्षेपण से पुत्र की मृत्यु पर गोविन्द का शोक, पुत्र के महत्त्व का कथन ), ५.३.१६६.३( सिद्धेश्वरी देवी की कृपा से पुत्र प्राप्ति का कथन ), ६.५९.४( पुत्रों के प्रकार, महिमा, विदुर द्वारा अश्वत्थ की पुत्र रूप में प्रतिष्ठा ), ६.१२८.२४( सुपुत्रद तीर्थ का वर्णन, बृहद्बल राजा की भार्याओं का स्नान से ऋतुमती होना ), ६.१४७.६२( पुत्र द्वारा नरक से तारने के कथन पर व्यास - पुत्र शुक द्वारा प्रश्नचिह्न ), हरिवंश २.७९.४२( नारियों के पुत्रफला होने का उल्लेख ; नारियों द्वारा सपुत्र? करकों के दान के निर्देश ), महाभारत आदि ११९.३२( पुत्रों के प्रकारों का कथन ), वन ३१३.५६( प्रसवतों के लिए पुत्र के श्रेष्ठ होने का उल्लेख, युधिष्ठिर - यक्ष संवाद ), ३१३.७२( पुत्र के मनुष्य की आत्मा होने का उल्लेख, यक्ष - युधिष्ठिर संवाद ), अनुशासन ४७.१०( ब्राह्मण की ४ वर्णों की स्त्रियों से उत्पन्न पुत्रों के दायभाग का प्रश्न व उत्तर ), लक्ष्मीनारायण १.३६( पुत्र उत्पत्ति में ऋण के हेतु होने, वीर्य निषेक काल की स्थिति के पुत्र के आचार - विचार पर प्रभाव तथा पुत्र प्राप्ति हेतु निषेक काल का वर्णन ), १.९४.१९( शिव द्वारा श्रेष्ठतम पुत्र की प्राप्ति के लिए पार्वती को पुण्यक व्रत का उपदेश ), १.९६( पुत्र प्राप्ति के महत्त्व का कथन ; पार्वती द्वारा पुण्यक व्रत करने से कार्तिकेय व गणेश पुत्रों की प्राप्ति का वर्णन ), १.९७( पार्वती के पुत्र कार्तिकेय के जन्म का वृत्तान्त ), १.१०१.३५( ५ प्रकार के पुत्रों का कथन ), १.१४८.१( श्रावण शुक्ल त्रयोदशी को पुत्र प्राप्ति हेतु पयोव्रत विधि का वर्णन ), १.२०५.२५(ज्ञानियों व योगियों के लिए ज्ञान के पुत्र रूप होने का उल्लेख), १.२५५.७( श्रावण शुक्ल पुत्रदा एकादशी के व्रत से पुरूरवा को पुत्रों की प्राप्ति का वृत्तान्त ; पुरूरवा द्वारा अपुत्रवान् होने के कारण का वर्णन ; पूर्व जन्म में वैश्य वर्धमान द्वारा गौ का ताडन आदि, गौ के शाप से अपुत्रवान् होना ), १.३०३.४८( पुत्र - व स्वर्ग - प्रद अधिमास एकादशी व्रत विधि का वर्णन ), १.३०५.२५( ज्ञानियों व योगियों के लिए ज्ञान के पुत्र रूप होने का उल्लेख ), २.४७.६८( पुत्रों के विभिन्न प्रकारों का वर्णन ), २.७८.३९( मन का पुत्र रूप में उल्लेख ), २.२२६.६४( स्वेद से उत्पन्न क्रिमि व धातु से उत्पन्न पुत्र में साम्य का उल्लेख ), ३.४०.५( गृह धर्म के अन्तर्गत गृह को धामाक्षर, पुरुषोत्तम को पति, पञ्चदेवों को पुत्र तथा क्रियाओं को पूजन मानने का उल्लेख ), ३.५३.५६( मासिक धर्म के पश्चात् दिन की संख्या अनुसार पुत्र या पुत्री उत्पन्न करने का कथन ), ३.१०६.७( आत्मा सहित १२ प्रकार के पुत्रों का कथन ), कथासरित् १०.५.२८९( स्त्री द्वारा द्वितीय पुत्र पाने की लालसा से प्रथम पुत्र की बलि देने की चेष्टा का कथन ), द्र. ऋषिपुत्र, त्रिपुत्रक, पाटलिपुत्र, हव्यपुत्र, बहुपुत्र putra
पुत्रक वायु ९९.२१८/२.३७.२१३( कुरु के पुत्रों में से एक ), कथासरित् १.३.२१( पुत्रक द्वारा शिव कृपा से स्वर्ण प्राप्त करने, पितृव्यों द्वारा पुत्रक के वध का प्रयत्न, पुत्रक द्वारा राक्षसों से दिव्य पादुका, यष्टि व पात्र प्राप्त करने का वृत्तान्त ) putraka
पुत्री भागवत ३.४.१८.२७( ब्रह्मा द्वारा स्वसुता को पत्नी? रूप में स्वीकार करने से श्रेष्ठता प्राप्ति का उल्लेख ), ४.१.२( मनु व शतरूपा - कन्या आकूति का रुचि प्रजापति के साथ पुत्रिका धर्म के अनुसार विवाह होने का कथन ), वायु ६९.५/२.८.५( पुत्रिका : मौनेया अप्सराओं में से एक ), ७९.७८/२.१७.७८( पुत्रिका - पति के श्राद्ध के अयोग्य होने का उल्लेख ), लक्ष्मीनारायण १.३१७.५( माता हेतु पुत्री के महत्त्व का वर्णन ), २.१००.७३( चक्रवाकी रूप धारी उर्वशी व माता लक्ष्मी के संवाद में माता के लिए पुत्री के महत्त्व तथा पुत्री के लिए माता के महत्त्व का वर्णन ), ३.१२२.६८( फाल्गुन कृष्ण पञ्चमी को पुत्री प्राप्ति हेतु पुत्री व्रत की विधि व महत्त्व ) putree/ putri
पुत्रेष्टि देवीभागवत ३.१०.२०( देवदत्त द्विज की पुत्रेष्टि के ऋत्विजों के नाम, गोभिल द्वारा देवदत्त को मूर्ख पुत्र प्राप्त होने का शाप, उतथ्य नामक मूर्ख व विद्वान पुत्र के उत्पन्न होने का वृत्तान्त ), मत्स्य ७.६( दिति के संदर्भ में पुत्र प्राप्ति हेतु मदन द्वादशी व्रत की विधि ), स्कन्द २.८.७.२( दशरथ द्वारा क्षीरोदक तीर्थ में पुत्रेष्टि यज्ञ करने का कथन ), कथासरित् १२.७.४३( पुरोहित यजु:स्वामी द्वारा राजा हेतु पुत्रेष्टि सम्पन्न करने का उल्लेख ) putreshti
पुनर्वसु ब्रह्माण्ड २.३.१८.४( पुनर्वसु में श्राद्ध से पुत्री होने का उल्लेख ), २.३.७१.११९( अभिजित् द्वारा अश्वमेध के अनुष्ठान से पुनर्वसु पुत्र की प्राप्ति का कथन, आहुक व आहुकी - पिता ), भागवत ५.२३.६( पुनर्वसु नक्षत्र की शिशुमार की दक्षिण श्रोणी में स्थिति का उल्लेख ), ९.२४.२०( अरिद्योत - पुत्र, आहुक व आहुकी - पिता, अन्धक वंश ), मत्स्य ४४.६४( दरदुन्दुभि - पुत्र, चरित्र प्रशंसा, आहुक व आहुकी - पिता ), वायु ६६.४८/२.५.४८( ऐरावती वीथि के नक्षत्रों में से एक ), ८२.४/२.२०.४( पुनर्वसु में श्राद्ध से पुत्र, धन आदि की प्राप्ति का कथन ), ९६.११८/२.३४.११८( अभिजित् द्वारा अश्वमेध के अनुष्ठान से पुनर्वसु पुत्र प्राप्ति का कथन, आहुक व आहुकी - पिता ), विष्णु ४.१४.१४( अभिजित् - पुत्र, आहुक व आहुकी - पिता ) punarvasu |